संसार रूपी भवसागर पार करने को राम रूपी नौका प्रमुख साधन पं मनोज अवस्थी
संसार रूपी भवसागर पार करने को राम रूपी नौका प्रमुख साधन पं मनोज अवस्थी
बिधूना,औरैया। बिधूना कस्बे के मोहल्ला चंदरपुर के गमा देवी मंदिर परिसर में आयोजित नौ दिवसीय श्रीराम कथा के चतुर्थ दिवस औरैया के सुविख्यात भगवताचार्य एवं श्रीराम कथा प्रवक्ता पंडित मनोज अवस्थी ने कहा कि आज के समय में संसार रूपी भवसागर को पार करने को राम रूपी नौका प्रमुख साधन है। भगवताचार्य पंडित मनोज अवस्थी ने नारद मोह व श्रीराम जन्म प्रसंग का मार्मिक वर्णन करते हुए कहा कि नारद जी की तपस्या भंग करने को कामदेव ने माया फैलाई और नारद को मोह और अहंकार हो गया और नारद जी विश्व मोहनी से विवाह करने के लिए बेचैन हुए।
आगे उन्होंने कहा कि भगवान शंकर के पास कैलाश पहुंचे तो भगवान शंकर ने उन्हें समझने का प्रयास किया लेकिन वह नहीं माने बाद में वह भगवान विष्णु के पास पहुंचे और विश्व मोहिनी से विवाह करने के लिए भगवान से सुंदर रुप मांगा तो भगवान ने उन्हें वानर का रूप दे दिया। बाद में शादी समारोह में जब विश्व मोहनी ने उनके गले में वरमाला नहीं डाली तो उनके पीछे बैठे शंकर भगवान के दो गण यह कहकर हंसने लगे कि अपना चेहरा देखिए जब नारद जी ने जल में अपना चेहरा वानर का देखा तो वह क्रोधित हो गए और उन्होंने दोनों गणों को असुर होने का श्राप दे दिया जो बाद में रावण और कुंभकरण बने। नारद क्रोधित होकर भगवान को भी श्राप देने के लिए निकल पड़े तभी भगवान उन्हें रास्ते में मिल गए तो नारद जी ने विश्व मोहिनी को उनके साथ देखा तो उनका क्रोध और बढ़ गया और क्रोधित होकर कहा कि आप कपटी है इसलिए मैं आपको श्राप देता हूं और उन्होंने भगवान को तीन श्राप दिए कि आपका भी आधा शरीर वानर का हो जाए और बाद में यह वानर ही आपकी मदद में आएं और जैसे पत्नी के लिए मैं रो रहा हूं वैसा आपको भी रोना पड़े। पंडित मनोज अवस्थी ने कहा कि जब मनुष्य को समाज में अधिक सम्मान मिलने लगे तो उसे सावधान हो जाना चाहिए क्योंकि सम्मान बढ़ने पर अहंकार पैदा होता है जिससे अपराध होने लगते हैं। कुसंग से बचकर रहना भी सत्संग है।
उन्होंने श्री राम जन्म की कथा का वर्णन करते हुए कहा कि राजा दशरथ के तीन रानियां कौशल्या कैकेई और सुमित्रा थी लेकिन उनके कोई पुत्र नहीं था तो उन्हें काफी दुःख हुआ जिस पर उन्होंने अपना दुख अपने गुरु से कहा तो गुरु ने पुत्र कामेशष्ट यज्ञ कराया और इसके लिए श्रंगी ऋषि को हवन यज्ञ के लिए बुलाया गया और इस यज्ञ में श्रंगी ऋषि ने ही आहुति डाली बाद में दिए गए प्रसाद को तीनों रानियों को भाग दिया गया जिस पर भगवान श्रीराम का जन्म हुआ तो अयोध्या में खुशियां आ गई अयोध्या के पर्वत मणियों से चमकने लगे। भगवताचार्य पंडित मनोज अवस्थी ने कहा कि श्रीराम कथा में प्रत्येक समस्या का समाधान मौजूद है वहीं राम कथा अमृत के समान है जिसको पीने से मनुष्य का जीवन सफल हो जाता है। कथा के विश्राम पर आरती के बाद प्रसाद वितरित किया गया। इस मौके पर परीक्षित रविंद्र कुमार मिश्रा व गीता मिश्रा नगर पंचायत बिधूना के अध्यक्ष आदर्श मिश्रा व कार्यक्रम आयोजक मंडल के सदस्य राम लखन मिश्रा रामबाबू मिश्रा वीरेश्वर नाथ मिश्रा सतीश मिश्रा बृजेंद्र मिश्रा जगदीश नारायण मिश्रा सुधीर मिश्रा कुलदीप मिश्रा संदीप मिश्रा राहुल मिश्रा संतोष मिश्रा आदि के साथ ही सुरेंद्र कुमार पांडे अखिलेश कुमार शुक्ला विनय तिवारी छुन्नू तिवारी अवधेश कुमार दुबे, भारत सिंह भदौरिया, जयसिंह पाल, अनिल दुबे, राजवर्धन दुबे, नरेश भदौरिया, पप्पू कुशवाह, पंकज दुबे, उमेश, श्रीप्रकाश अग्निहोत्री, पंकज तिवारी, संजय मिश्रा, राकेश शर्मा, आदि तमाम प्रमुख लोगों के साथ ही व सैकड़ो की संख्यां में श्रोतागण मौजूद थे।
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