सदाचार ही श्रीमद्भागवत कथा का मूल मंत्र भगवताचार्य पंडित श्रीकांत शास्त्री
सदाचार ही श्रीमद्भागवत कथा का मूल मंत्र भगवताचार्य पंडित श्रीकांत शास्त्री
औरैया। वैष्णों मंदिर भरसेन रोड कखावतू बंबा पर चल रही श्रीमद् भागवत कथा में इटावा के भगवताचार्य पंडित श्रीकांत शास्त्री ने कहा कि सदाचार ही श्रीमद्भागवत कथा का मूल मंत्र है ऐसे में सभी को सदाचार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा श्रवण करने का मौका उन्ही भक्तों को मिलता है जिन पर ईश्वर की असीम कृपा होती है। मनुष्य योनि योनियों में सर्वश्रेष्ठ है क्योंकि इसी योनी में यज्ञ दान तप जप पूजा पाठ होते हैं और अगले जन्मों में मानव को इन्हीं पुण्यों का फल प्राप्त होता है।
भागवताचार्य ने कहा कि इस कलयुग में जीव आसुरी प्रवृत्ति का हो गया है। इससे पार पाने के लिए श्रीमद्भागवत कथा उत्तम साधन है। उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण कालीदह लीला प्रसंग का वर्णन करने के साथ गोवर्धन पूजा कथा का मार्मिक वर्णन करते हुए कहा कि अपनी सत्ता और शक्ति का घमंड होने पर भगवान श्री कृष्ण ने इंद्र का घमंड चूर करने के लिए ब्रजमंडल में इंद्र की पूजा बंद करा दी जिस पर आक्रोशित इंद्र ने ब्रज मंडल में मूसलाधार बारिश शुरू कर दी जिससे ब्रजमंडल में हाहाकार मच गया भगवान श्री कृष्ण ने ब्रज वासियों को बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठा उंगली पर उठाकर धारण कर लिया जिससे गोवर्धन पर्वत के नीचे बृजवासियों के साथ जीव जंतुओं की रक्षा हुई इंद्र का भी घमंड चूर-चूर हो गया। भागवताचार्य पंडित श्रीकांत शास्त्री ने कहां की भगवान श्रीकृष्ण ने पूतना आघासुर बकासुर आदि कंस द्वारा भेजे गए विभिन्न असुरों का वध करने के बाद पापी कंस का वध किया। भगवताचार्य ने कहा कि कथा विचार वैराग्य ज्ञान प्रदान करने के साथ हरी से मिलने का मार्ग प्रशस्त करती है। कठिन समय में भगवान पर विश्वास करने से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। बाद में कथा के विश्राम पर आरती के बाद प्रसाद वितरण किया गया। इस मौके पर इटावा की सरस कथा वाचिका रोशनी राधे झांकी कलाकार बिजली कुशवाहा के साथ ही कार्यक्रम संयोजक बाबा गंगा प्रसाद परीक्षित, निर्जला देवी व आशीष कुमार प्रजापति आदि प्रमुख लोगों के साथ ही सैकड़ों की संख्या में श्रोतागण मौजूद थे।
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