आज की बेटी बोझ नही पिता का कंधा बनी।
बेटी ने निभाया बेटे का फर्ज देखने वालों की आँखे हुई नम।
*स्पेशल सौरभ त्यागी की रिपोर्ट*
उरई (जालौन) एक समय था जब लोग बेटियों को बोझ समझते थे लेकिन आज की बेटी अपने पिता का नाम रोशन कर रही हैं। और बड़ी बड़ी पोस्ट पर तैनात रह कर देश को चला रही है। जिन पिताओं को बेटे नही है वह अपने मन मे यह कभी न सोचें कि मरने के बाद कंधा कौन देगा क्योंकि आज की बेटियाँ बेटों से कम नही है। आज जो देखा उसे लिख रहा हूँ तो आँखों में आंशू आ गए क्योंकि बात ही ऐसी है। आज उरई के राजेन्द्र नगर निवासी स्व,माता प्रसाद की पत्नी कुसुम देवी प्रजापति का अचानक स्वर्गवास हो गया जिससे परिवार में चीखपुकार और कोहराम मच गया जब बात कंधा देने की और मुखाग्नि की आयी तो उनके कोई लड़के नही थे तो इस मौके पर बेटियां भी कम नजर नही आई और उनकी पुत्री ने पुत्र धर्म होने का पूरा फर्ज निभाया बता दें कि कुसुम देवी की 5 बेटियाँ है और उनमें सबसे छोटी बेटी ममता रानी प्रजापति ने उनका अंतिम सस्कार पूरे रीतिरिवाज के अनुसार किया और मुखग्नि भी दी तो लोगो की आंखो में आंसू आ गए । वहाँ आये लोगों ने तरह-तरह की बातें भी की लेकिन समाज के शिक्षित लोगों ने इस फैसले को सही माना और सभी लोगों से कहा कि यह सीख है उन लड़कों के लिए जो अपने पिता की कदर नही करते हैं क्योंकि बेटियां अब बराबरी की हिस्से दार है और उन्हें भी पिता की संपत्ति पर उतना की अधिकार है जितना बेटों का है। इसलिए बेटी भी पिता को कंधा दे सकती हैं और अंतिम संस्कार भी कर सकती है।
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