वृद्धावस्था पेंशन बनी मजाक पेंशन धारक असमंजस में
वृद्धावस्था पेंशन बनी मजाक पेंशन धारक असमंजस में
खाऊ कमाऊ नीति के कारण काटी गई पेंशन चढ़ी भ्रष्टाचार की परवान
औरैया। वृद्धावस्था पेंशन जिले में मजाक बन चुकी है। अनगिनत वृद्धावस्था पेंशन धारक असमंजस की स्थिति में बने हुए हैं। खाऊ-कमाऊ नीति के चलते कमोबेश 3 वर्ष से अनगिनत पेंशने काट दी गई। इसके बाद पेंशन धारकों को भटकने को मजबूर कर दिया गया। इतना ही नहीं विभाग द्वारा फार्म भी भरवा लिए गये और वृद्धावस्था पेंशन धारकों ने पारदर्शिता से सभी आवश्यक कागजात भी लगा दिए। इसके बाद प्रशासन की नींद नहीं खुली, अभी तक वृद्धजन पेंशन की आस लगाए बैठे हैं, लेकिन उनके मंसूबों पर पानी फिरता ही जा रहा है। जिसके कारण वृद्धों में किंकर्तव्यविमूढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई है। शासन और प्रशासन भले ही वृद्धावस्था पेंशन के लिए दावे कर रहा हो, लेकिन यह सब मनगढ़ंत ही साबित हो रहा है। सरकार की वृद्धावस्था पेंशन योजना हवा- हवाई साबित हो रही है। राज्य के समाज कल्याण राज्यमंत्री का बयान भी पेंशन धारकों के कंठ के नीचे नहीं उतर रहा है। पेंशन धारकों का कहना है कि अब उनके सब्र का बांध टूट रहा है जिसके चलते हुए लोग हतोत्साहित हैं।
जिले में समाज कल्याण विभाग द्वारा वृद्धावस्था पेंशन के साथ भ्रष्टाचार के चलते जो खिलवाड़ किया गया है, उससे प्रशासन अनभिज्ञ नहीं है। करीब 65 लाख रुपए का घोटाला वृद्धावस्था पेंशन के नाम पर सामने आया। इसके बावजूद विभागीय अधिकारियों पर अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई। जिससे उनके हौसले बुलंद हैं और वृद्धावस्था पेंशन नहीं भेज कर वृद्धजनों का शोषण करने पर अमादा है। वृद्धावस्था पेंशन धारकों के खाता बदल दिए गये और दूसरे खातों में पैसा भेज कर उसका क्या हुआ कुछ मालूम नहीं हो सका। अधिकारी भी मूकदर्शक व तमाशाई बने हुए हैं। जिससे उनकी भी संलिप्तता प्रतीत हो रही है। इतना ही नहीं नियमानुसार जिन लोगों को पेंशन मिलनी चाहिए उन्हें नहीं मिल कर नए लोगों को पेंशन स्वीकृत की गई , यह जांच का विषय है। कई वर्ष से पेंशन नहीं मिलने के चलते वृद्धजनों में किंकर्तव्यविमूढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई है , क्योंकि वह लोग समाज कल्याण विभाग की दरवाजे पर अनेकों बार दस्तक देने के बावजूद पेंशन से वंचित ही है। उनकी कोई भी सुनने वाला नहीं है। विभागीय अधिकारी तभी पेंशन निर्गत करते हैं जब उन्हें सुविधा शुल्क मिल जाता है , अन्यथा आला-वाला बतलाकर टरका देते है। वृद्धावस्था पेंशन धारक सर्फराज खां पुत्र सरताज निवासी कस्बा खानपुर औरैया का कहना है कि वृद्धावस्था पेंशन से उनकी गृहस्थी का कुछ खर्च चल जाता था। विभाग द्वारा उनकी पेंशन लगभग ढाई वर्ष पहले से बंद कर दी गई। इतना ही नहीं उनके खाते में पैसा नहीं भेज कर दूसरे के खाते में भेजा गया। उस पैसे का विभाग ने किसे लाभ पहुंचाया कुछ बता पाना संभव नहीं है। बाद में पता चला कि वृद्धावस्था पेंशन के नाम पर 65 लाख रुपए का वारा न्यारा हो गया है , लेकिन प्रशासन ने इस पर संबंधित के खिलाफ कोई भी कार्यवाही नहीं की है। विभाग द्वारा उनसे दूसरी बार फार्म भरवा लिया गया, उन्होंने पत्राजाद संबंधी सभी औपचारिकताएं पूर्ण की हैं। इसके बावजूद अभी तक उन्हें पेंशन नसीब नहीं हो सकी है, जिससे उनके सामने बड़ी समस्या उत्पन्न हो गई है। पेंशन आने की वाट जोहते- जोहते वह हतोत्साहित होने लगे है। वही अधिकारी अपनी मनमर्जी पर अमादा हैं। इसके साथ ही वृद्धावस्था पेंशन को पलीता लगाने का काम कर रहे हैं। आपको बताते चलें कि विगत दिनों सूबे की समाज कल्याण राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार असीम अरुण ने कहा था कि अब अपात्र लाभार्थी समाज कल्याण विभाग की राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना का लाभ नहीं ले पाएंगे। विभाग ने इसके लिए आधार प्रमाणीकरण के कार्य को बृहद रूप से सभी जिलों में शुरू किया है, ताकि अपात्रों को योजना से बाहर कर नये लाभार्थियों को योजना से जोड़ा जा सके। उन्होंने कहा कि समाज कल्याण विभाग की ओर से राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना के आधार प्रमाणीकरण का कार्य व्यापक स्तर पर किया जा रहा है। आधार प्रमाणीकरण का उद्देश्य पेंशन योजना में दोहरेपन (एक लाभार्थी का कई पेंशन योजनाओं में लाभ लेना या कई जनपदों से लाभ लेना) को रोकना , मृतक एवं अपात्र पेंशनरों को योजना से हटाना एवं फर्जी लाभार्थियों को चिन्हित कर उन्हें योजनाओं से अलग किया जाना है। वर्तमान में छप्पन लाख वृद्ध जनों को राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना का लाभ दिया जा रहा है। जनवरी 2022 से पेंशन में दी जाने वाली धनराशि प्रतिमाह 500 रुपए से बढ़ाकर प्रतिमाह 1000 रुपये कर दी गई है। अब सरकार का प्रयास है कि ज्यादा संख्या में नये पात्र लाभार्थियों को इस योजना का लाभ दिया जाए, लेकिन खेद है कि अधिकारियों की अनदेखी के चलते यह योजना ढाक के तीन पात ही साबित हो रही है। समाज कल्याण विभाग के चक्कर काटते-काटते अब उनमें निराशा का भाव उत्पन्न होने लगा है। लाभार्थियों का कहना है कि शिकायत करते- करते वह काफी परेशान हो चुके हैं। उनकी समझ नहीं आ रहा है की वह अपनी फरियाद किससे करें और कौन सुनेगा?
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