अफसरों न नेताओं ने देखा हाल, खुले आसमान के नीचे परिवार बेहाल
अफसरों न नेताओं ने देखा हाल, खुले आसमान के नीचे परिवार बेहाल
रुरुगंज,
सरकार हर परिवार को छत मुहैया कराने को लेकर अभियान चला रही है। इसके लिए शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में प्रधानमंत्री आवास योजना चलाई जा रही है। इन सबके बावजूद अभी भी ऐसे कई परिवार हैं, जो इस योजना से वंचित हैं। वह खुले आसमान के नीचे अपने परिवार के साथ गुजर-बसर करने को मजबूर हैं। जिम्मेदार अधिकारियों की नजर भी ऐसे पीड़ित परिवारों की तरफ नहीं जाती, जो उन्हें समय रहते छत मुहैया कराने का प्रयास कर सकें। यही हाल क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों का भी है।
बिधूना विकासखंड क्षेत्र की ग्राम पंचायत पुर्वा पीताराम निवासी रीना देवी पत्नी लालजीत का परिवार फूस की झोपड़ी डाल कर अपने दो बच्चों के साथ गुजर बसर करने को मजबूर है। रीना ने बताया कि कई वर्ष पहले बारिश के चलते उसका कच्चा मकान ढह गया था। उसके बाद से वह पहले छप्पर के नीचे गुजर-बसर करती रही। जब छप्पर क्षतिग्रस्त हो गया, तो उस पर फूस की झोपड़ी बना ली। कई बार प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए आवेदन किया। ग्राम प्रधान से लेकर अधिकारियों तक से गुहार लगाई, लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई।
मेहनत मजदूरी कर के परिवार का करते है भरण-पोषण
पुर्वा पीताराम निवासी लालजीत बताते है कि दूसरों की मेहनत मजदूरी करके किसी तरह से अपना व अपने परिवार का भरण पोषण करते है। जिस दिन काम नही मिलता है तो उस दिन घर का चूल्हा तक नही जरता है।
बारिश होने पर कहां जाएगा परिवार
पुर्वा पीताराम की पीड़िता रानी ने बताया कि बारिश होने पर वह अपने छोटे छोटे बच्चों को लेकर कहां रात गुजारेगी। उसने बताया कि उसके दो बच्चे है जिसमे एक पुत्री व एक पुत्र है। उसने बताया उनके पति लालजीत किसी तरह गांव में मेहनत मजदूरी कर वह परिवार का भरण-पोषण कर रही है।
रुपये न देने पर पक्के आवास की लगा दी रिपोर्ट
बिधूना विकासखंड क्षेत्र की ग्राम पंचायत पुर्वा पीताराम में कच्चा मकान और झोपड़ी होने के बाद भी महिला प्रधानमंत्री आवास के लिए चक्कर काट रही है उसने सचिव पर घर पक्का होने की रिपोर्ट लगाने का आरोप लगाया है।
बिधूना विकासखंड की ग्राम पंचायत पुर्वा पीताराम निवासी रीना देवी पत्नी लालजीत ने बताया कि उनका मकान कच्चा है। प्रधानमंत्री आवास के लिए आवेदन करने के बाद उसका नाम सूची में आ गया। लेकिन उसे आवास नहीं मिला। रीना का आरोप है कि आवेदन के समय एक अधिकारी ने रुपयों की मांग की थी। रुपये न दे पाने के कारण पात्रता सूची में नाम होने के बाद भी वह दर-दर भटक रही है। गांव से लेकर ब्लाक के अधिकारियों ने उसका नाम होने की बात कही है। इसके बाद भी सचिव ने उसका मकान पक्का दिखाकर उसे अपात्र घोषित कर दिया। सचिव सरवन लाल ने बताया कि यदि महिला का मकान कच्चा है, तो जांच कर लाभ दिलाया जाएगा।
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