पॉलीथिन हवा, मिट्टी व जल तीनों में घोल रहा जहर
पॉलीथिन हवा, मिट्टी व जल तीनों में घोल रहा जहर
अजीतमल/औरैया-
शासन के निर्देश पर अभी 50 माइक्रॉन तक के पॉलीथिन पर रोक लगाई गई है, लेकिन इसके प्रचलन में कोई कमी नहीं दिखती नजर आ रही है। पॉलीथिन व प्लास्टिक से बने उत्पाद खुले में जलाए जा रहे हैं। इससे वायु प्रदूषण तेजी से फैल रहा है। वहीं नाली व पानी में जाने से जल को प्रदूषण करने के साथ ही खतरनाक केमिकल भी पानी में घुल रहे हैं। खेतों में जाकर पॉलीथिन खेत की उर्वरा शक्ति को क्षीण कर रही हैं और फसलों के उत्पादन पर भी प्रभाव डाल रही हैं। नगर क्षेत्र से लेकर ग्रामीण क्षेत्र की बाजारों में भी पॉलीथिन के प्रयोग का सिलसिला रोक के बावजूद प्रभावी नहीं हो पा रहा है। खाद्य पदार्थों को लेकर जाने से पॉलीथिन बेकार होने पर उसे फेंक दिया जाता है। उपजाऊ भूमि को बंजर बनाने वाली पॉलीथिन ही क्षेत्र में प्रदूषण का अहम कारण बनी हुई है।
खुले में जला दिया जाता है प्लास्टिक व कूड़ा
नगर व गलियों में बिखरे कूड़ों को एकत्र करने के बाद नगर पंचायत क़स्बे अन्दर तथा बाहर खुले में जलाकर छोड़ देते हैं। कूड़े के ढेर में आग भी किसी एक दिन नही लगाई जाती यह कार्य नियमित होता है। इससे वायु प्रदूषण महीनों तक रहता है। बिखरे पड़े कूड़ों के ढ़ेर में पॉलीथिन ही बहुतायत संख्या में दिखाई पड़ती है। इसमें आग लगा दिया जाता है इससे महीनों तक वह धूएं के रूप में वातावरण को प्रदूषित करता रहता है। इसके प्रयोग पर रोकथाम लगाने में प्रशासन की लचर कार्यप्रणाली के चलते प्रत्येक माह क़स्बे में कई कुंतल पॉलीथिन की खपत हो रही है। इसके प्रयोग से गंदगी को भी बढ़ावा मिल रहा है।
पॉलीथिन व प्लास्टिक सभी जीवों के लिए खतरनाक : अधीक्षक
सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र अजीतमल के अधीक्षक डॉ॰ अवनीश कुमार का कहना है कि प्लास्टिक मूल रूप से नु़कसानदेह नहीं होता, लेकिन प्लास्टिक के थैले अनेक हानिकारक रंगों, रंजक और अन्य तमाम प्रकार के अकार्बनिक रसायनों को मिलाकर बनाए जाते हैं। रंग और रंजक एक प्रकार के औद्योगिक उत्पाद होते हैं, जिनका इस्तेमाल प्लास्टिक थैलों को चमकीला रंग देने के लिए किया जाता है। उन्होंने बताया कि इनमें से कुछ रसायन कैंसर को जन्म दे सकते हैं और कुछ खाद्य पदार्थों को विषैला बनाने में सक्षम होते हैं। रंजक पदार्थों में कैडमियम जैसी जो धातुएं होती हैं, वो सेहत के लिए बेहद नुक़सानदेह हैं। थोड़ी-थोड़ी मात्रा में कैडमियम के इस्तेमाल से उल्टियां हो सकती हैं और दिल का आकार बढ़ सकता है।
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