पूजा की सर्वाधिक प्राचीन पद्वति यज्ञ
पूजा की सर्वाधिक प्राचीन पद्वति यज्ञ
औरैया। मनुष्य के द्वारा भिन्न भिन्न प्रकार के जाप और तप किए जाते हैं, जिनमें यज्ञ भी एक प्रकार का साधन है। यज्ञ सृष्टि के आदि काल से अर्थात स्वाम्भुवमनु के काल से प्रचलन में है। हमारे पूर्वज ऋषि-महर्षियों ने यज्ञ को पूजा की सर्वाधिक प्राचीन पद्वति बताया है। वेदों में अग्नि को परमेश्वर के रूप में वंदनीय कहा है अर्थात् आर्य लोग अग्नि की उपासना करने वाले होते हैं। अग्नि में जो गुण होता है, वह हमेशा ऊपर को उठती है, चलती है अर्थात् उसकी गति और ऊध्र्वगति होती है जो उन्नति का प्रतीक है। अग्नि में ऊर्जा होती है, जो मनुष्य के जीवन के लिए अति आवश्यक होती है।
उक्त विचार स्थानीय आर्य समाज मन्दिर में चल रहे 110वें वार्षिकोत्सव के तृतीय दिवस में यज्ञ सम्पन्न कराते हुये आगरा से पधारे ब्रहम आचार्य उमेश चन्द्र कुलश्रेष्ठ हुये व्यक्त किये। यज्ञ के यजमान आलोक जी ने यज्ञ में आहूति दी। आचार्य श्रेष्ठ ने बताया कि अग्नि की प्रधानता को स्वीकार करते हुए हमारे ऋषियों ने अग्नि को यज्ञों में भी प्रमुखता दी। वेदों में देवताओं का मुख अग्नि को बताया गया है। हर संस्कार में अग्निदेव की पूजा का विधान किया गया। यज्ञाग्नि यज्ञ में आहूत पदार्थों को सूक्ष्म कर दूर देशों तक उनका विस्तार करती है और यज्ञरूप होकर प्रभु के संदेश को दिग-दिगंत तक फैलाती है। हम ईश्वर को भी यज्ञरूप मानते हैं, क्योंकि प्रभु की प्रत्येक रचना प्राणियों के हित में संलग्न है और निःस्वार्थ भाव से उनकी सेवा कर रही है। वह अपने त्याग का त्याग कर रही है-इसलिए प्रभु स्वयं यज्ञरूप है। इस यज्ञ से सृष्टि में ऊर्जा का संभरण होता है और प्रकृति का कण-कण ऊर्जान्वित होकर कार्य करने लगता है।
दोपहर कालीन सत्र में महिला सम्मेलन में बहन सावित्री देवी जी ने मनलुभावने भजन सुनाए। उन्होंने कहा कि परिवार में सुख-शान्ति चाहते हो तो बहु को बेटी, देवरानी, जिठानी, को बहन मान लो, तो कभी झगड़ा नहीं होगा। उन्होंने कहा कि परिवार की शान्ति के लिए भी सभी को नियम में चलना चाहिए। बड़ो का सादर-सम्मान, छोटो को स्नेहपूर्वक व्यवहार करें। दैनिक संध्या यज्ञ आदि सम्पन्न करें। घर का वातावरण यज्ञ से सुगन्धित रहे तो सभी का कल्याण होता है। कार्यक्रम के अंत में प्रसाद वितरण की व्यवस्था वेद प्रकाश राठौर द्वारा की गई। इस अवसर पर कार्यक्रम का सफल संचालन डा राम कुमारी गुप्ता ने किया। कार्यक्रम में कृष्णकुमार दुवे, प्रमोद पुरवार, देवेश चन्द्र आर्य, विभा आर्य, अनिल गुप्ता, अंजना गुप्ता, कुक्कू ठाकुर, सहित अन्य भारी संख्या में मातायंे-बहनें व भाई उपस्थित रहे।
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