सब जीवन यूँ ही गँवा दिया आराम मिला न राम मिला अंकुश जी महाराज
*सब जीवन यूँ ही गँवा दिया आराम मिला न राम मिला अंकुश जी महाराज*
*सहार,औरैया।* सहार के समीपवर्ती ग्राम जलालपुर में श्रीमद्भागवत पुराण कथा के चौथे दिवस परम पूज्य सन्त स्वामी राजेश्वरानंद जी के कृपा पात्र शिष्य अंकुश जी महाराज ने देवकी के आठ संतानों की उत्पत्ति सहित श्रीकृष्ण जन्म की कथा सुनाते हुये बताया कि द्वापर में मथुरा देश के दो भाग थे तथा दोनों भागों पर दो वंशो के राजाओं का राज था।पहले बिष्टवंश में दो भाई देवक व उग्रसेन हुए जिसमें देवक बड़े थे , जिनके इकलौती पुत्री देवकी थी , जो राजपाट छोटे भाई उग्रसेन को सौंपकर भगवान की पूजा करने चले गई। उग्रसेन को एक पुत्र कंस हुआ जो आतताई था। पिता को जेल में डालकर राजा बन गया। वासुदेव का विवाह देवकी से हुआ। इसके बाद कंस ने आकाशवाणी को सुनकर दोनों को जेल में डाल दिया। भादों मास की अंधियारी रात को अष्टमी के दिन कंस के मथुरा जेल में अचानक अलौकिक प्रकाश फैलने लगा , और माता देवकी के गर्भ से श्री कृष्ण का प्राकट्य हुआ। वहां के समस्त बंदी मूर्छित हो गये। जेल के दरवाजे खुल गये। आकाशवाणी हुई जिसे सुनकर वासुदेव नन्हें बालक को लेकर यमुनापार गोकुल नंद के घर पहुंचकर वहां से नवजात कन्या को लेकर वापस आए। सुबह होते ही गोकुल में नंद बाबा के घर बालक का जन्म होने की बात पता चलते ही उत्सव मनाया जाने लगा। कृष्ण जन्म के उत्सव में भक्त जम कर नाचे। इसके बाद कृष्ण की अनेक बाल लीलाओं का वर्णन किया गया। गोवर्धन लीला का भी वर्णन किया गया। आयोजक समिति के सदस्य ह्र्देश पाठक, हनी पाठक, नीतू पाठक, अर्चना पाठक सहित क्षेत्रीय लोग भारी संख्या में भागवत पन्डाल में भक्ति रस में डूबे रहे।
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