औरैया की तीनों विधान सभा क्षेत्रों में सपा भाजपा के बीच दिख रहा कांटे का मुकाबला
*औरैया की तीनों विधान सभा क्षेत्रों में सपा भाजपा के बीच दिख रहा कांटे का मुकाबला*
*औरैया।* विधानसभा चुनाव संपन्न हो जाने के बाद औरैया की तीनों विधानसभा क्षेत्रों में फिलहाल भाजपा प्रत्याशियों के बीच कांटे का मुकाबला होने के आसार बने नजर आ रहे। औरैया विधानसभा से सपा प्रत्याशी जितेंद्र दोहरे अभी राजनीति में नए चेहरे के रूप में उभर कर आए हैं, वही भाजपा प्रत्याशी गुड़िया कठेरिया भी इटावा सांसद रामशंकर कठेरिया की करीबी रिश्तेदार है। राजनीति में नए चेहरे के रूप में आई है। वही बिधूना विधानसभा क्षेत्र में सपा प्रत्याशी रेखा वर्मा व भाजपा प्रत्याशी रिया शाक्य दोनों ही क्षेत्र के पुराने राजनीतिक घरानों से ताल्लुक रखती है। सपा प्रत्याशी रेखा वर्मा उत्तर प्रदेश विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष स्वर्गीय धनीराम वर्मा की पुत्रवधू व पूर्व विधायक स्वर्गीय डॉक्टर महेश वर्मा की धर्मपत्नी है, और वह बिधूना क्षेत्र से तीन बार ब्लॉक प्रमुख भी रह चुकी है। जबकि भाजपा प्रत्याशी रिया शाक्य पूर्व राज्यमंत्री एवं विधायक विनय शाक्य की पुत्री है, और वह चुनाव के समय ही राजनीति में उतरी है। चुनाव के पूर्व ही वह भाजपा विधायक अपने पिता विनय शाक्य के भाजपा का दामन छोड़कर सपा का दामन थाम लेने के बाद पिता से बगावत कर भारतीय जनता पार्टी से टिकट पाकर चुनाव मैदान में कूदी है। हालांकि इस बार इस क्षेत्र में बसपा द्वारा क्षत्रिय समाज के गौरव रघुवंशी को मैदान में उतारे जाने से भले ही बसपा चुनावी वैतरणी पार न कर सके, लेकिन खासकर भाजपा के चुनावी समीकरण को कड़ी चुनौती मिलती मानी जा रही है। वही सपा छोड़कर भाजपा में शामिल हुए सपा प्रत्याशी रेखा वर्मा के देवर दिनेश वर्मा गुड्डू द्वारा भी सपा को आंशिक नुकसान पहुंचाने की आशंका व्यक्त की जा रही है, लेकिन इस क्षेत्र में फिलहाल सपा भाजपा के बीच कांटे का मुकाबला माना जा रहा है। यही नहीं दिबियापुर विधानसभा क्षेत्र में सपा भाजपा के बीच कांटे की टक्कर मानी जा रही है। सपा से पूर्व सांसद प्रदीप यादव व भाजपा से प्रदेश सरकार के राज्यमंत्री लाखन सिंह राजपूत आमने सामने हैं, लेकिन भाजपा प्रत्याशी द्वारा अपने कार्यकाल दौरान क्षेत्र की समस्याओं के प्रति की गई अनदेखी को लेकर चुनाव दौरान मतदाताओं में दिखी नाराजगी से सपा प्रत्याशी का पलडा भारी माना जा रहा है। वही लोग सपा शासन की खराब रही कानून व्यवस्था की याद कर भाजपा के प्रति रुझान करते दिखे हैं, लेकिन जिस तरह से यादव मुस्लिम अति पिछड़ी अति दलितों के सपा के पक्ष में नजर आए जातीय ध्रुवीकरण से सपा प्रत्याशी का भी पलडा भारी नजर आ रहा है। हालांकि सपा भाजपा के बीच यहां भी कांटे की टक्कर होने के कयास लगाए जा रहे हैं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
If You have any doubts, Please let me know