भगत सिंह की संत, सिपाही की जीवन शैली अपनाकर वर्तमान में देश का विकास व सुरक्षा संभव
*भगत सिंह की संत, सिपाही की जीवन शैली अपनाकर वर्तमान में देश का विकास व सुरक्षा संभव*
*औरैया।* शहीदे-ए-आजम भगत सिंह जी की 114वीं जयंती पर भारत सेवक समाज, उत्तर प्रदेश द्वारा एल0 आई0 सी0 प्रांगण, औरैया में 'एक शाम- शहीद भगतसिंह के नाम' का आयोजन प्रान्तीय महामंत्री शरद प्रकाश अग्रवाल आयकर अधिकारी की अध्यक्षता में सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ।
सर्वप्रथम उपस्थिति अध्यक्ष एवं विशिष्ट अथितियों द्वारा शहीदे-ए-आजम सरदार भगत सिंह जी के चित्र पर माल्यार्पण करते हुये अन्य सभी लोगों द्वारा पुष्पांजली की गयी। उसके बाद कार्यक्रम संयोजक एवं स्वागताध्यक्ष ओमजी शुक्ल द्वारा इस कार्यक्रम हेतु पधारे सभी का स्वागत करते हुये तत्कालीन भारत सरकार के योजना आयोग की जन सहयोग समिति द्वारा वर्ष 1952 को स्थापित इस गैर राजनैतिक संस्था भारत सेवक समाज द्वारा कानपुर में भगत सिंह जी की जयंती पर कार्यक्रम का प्रारम्भ पं बद्री नारायण तिवारी के मार्गदर्शन पर भविष्यनिधि आयुक्त श्री राजीव कुमार पाल द्वारा लिखित पुस्तक भगत सिंह और कानपुर के बाद कई वर्षों से लगातार किये जाने की जानकारी देने पर उपस्थित सभी महानुभावों ने इसकी भूरि भूरि प्रंशसा की। इस अवसर पर श्री बृजेश बन्धु द्वारा कवि राधा चरण गुप्त "चरण" जी की पुस्तके प्रान्तीय महामंत्री श्री शरद प्रकाश अग्रवाल जी को भेंट की।
विशिष्ट अतिथि भारतीय जीवन बीमा निगम औरैया शाखा के प्रबंधक कामेश यादव ने आज के संदर्भ में शहीद भगत सिंह के विचारों की प्रासंगिता पर विस्तृत प्रकाश डालते हुये बताया देश की आज़ादी में महान क्रान्तिकारी शहीद भगतसिंह सहित अनेक क्रांतिकारियों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है, जिसका हमें सदैव सम्मान करना चाहिये।
राष्ट्रीय कार्यकारी चेयरमैन स्वामी केशवानंद एवं प्रदेश अध्यक्ष सत्यजीत ठाकुर के साथ भविष्यनिधि आयुक्त, नई दिल्ली राजीव कुमार पाल द्वारा भेजे संदेश में बताया कि बड़े हर्ष और गर्व का विषय है कि हम आज भगत सिंह को औरैया की महान क्रांतिकारी सरज़मीं पर याद कर अपने महान क्रांतिकारी नेता को याद कर रहें हैं। औरैया की भूमि भगत सिंह के प्रेरणास्त्रोतो में अग्रणी मैनपुरी षड्यन्त्र के नायक गेंदलाल दीक्षित की कर्म भूमि रही है ।
भगत सिंह को आज उनके जन्मदिवस पर याद करना भारतमाता के उन सपूतों को याद करना है जिनके लिए जाति ,धर्म,वर्ग ऊँच-नीच से पहले हिंदुस्तान था।और उसके माँ सम्मान के लिए उन्होंने ना केवल फाँसी का फंदा चूम लिया बल्कि उनकी अदालती कार्यवाही के दौरान उनके साथियों ने अपनी प्रतिबद्दता और आचरण के आंदोलन को विश्व के महान क्रांतिकारी आंदोलनों में शुमार कर दिया ।
जिसकी मिसाल बाद की पीढ़ी में चें- गुएवरा ही हो सकता है ।
भगत सिंह के जन्मदिवस पर उनका और उनके सभी साथियों के बलिदान को याद कर यह प्रेरणा ले की हम सभी नफ़रत को प्रेम में बदल कर अपने उन शहीदों के विचारों को अमल में लाने का प्राण-प्रण से प्रयास करेंगे ।
भारत प्रेरणा मंच के महासचिव पूर्वसैनिक अविनाश अग्निहोत्री शहीद ए आजम भगत सिंह की पूरी जीवनी पर प्रकाश डाला । मुख्य वक्ता एवं सफल संचालन कर रहे राष्ट्रीय कवि अजय शुक्ल 'अंजाम' ने कहा कि कानपुर में गणेश शंकर विद्यार्थी के संरक्षण में प्रताप प्रेस में छद्म नाम बलवंत सिंह के रूप में लेखन कार्य भी किया, जिन्हें पुलिस का कभी पकड़ नहीं पायी। भगत सिंह आजादी के लिये हिंदी को सर्वमान्य भाषा बनाने पर जोर देते थे। आज भी सारे देश में उनके बलिदान को बड़ी गम्भीरता से याद किया जाता है। सभी जनमानस के दिलों में वे आज़ादी के असली नायकों में हैं। उन्होंने शहीदों को समर्पित कविता भी प्रस्तुत की।
देशभक्ति बाल उधम के हृदय का क्रोध है।अग्निधर्मा भगतसिंह का नीरधर्मा बोध है। इस समारोह में उपरोक्त लोगो के अतिरिक्त अन्य प्रमुख लोगों में सरदार गुर चरण सिंह, बृजेश बंधु, शीलव्रत पांडेय, अजय विश्नोई, नरेंद्र शर्मा, दीपक मिश्रा, सागर श्रीवास्तव, वरुण झा, प्रदीप निषाद, संजय, अनुपम, राजेन्द्र भदौरिया आदि के साथ अनेक गणमान्य एवं प्रबुद्ध जन कोविड -19 के नियमों का पालन करते हुये मौजूद रहे।
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