पंचायतों में महिला आरक्षण सरकार चला रहे पुरुष
*पंचायतों में महिला आरक्षण सरकार चला रहे पुरुष*
*बैठकों कार्यक्रमों में अधिकांश महिला प्रधान रहतीं नदारद पति, देवर पुत्र या ससुर रहते मौजूद*
*बिधूना,औरैया।* सरकार द्वारा भले ही महिलाओं को ग्राम पंचायतों में प्रधान क्षेत्र पंचायत सदस्य ग्राम पंचायत सदस्य पद पर आरक्षण प्रदान किया गया है। जिसकी बदौलत वह उक्त पदों पर काबिज तो हो जाती हैं , लेकिन उनके पद दायित्व का कामकाज आज भी उनके पति , पुत्र , ससुर या देवर ही निर्वहन करते देखे जा रहे हैं। पदों पर निर्वाचित अधिकांश महिलाएं आज भी घरों में घूंघट में सिमटी बैठी नजर आ रही हैं , उन्हें आज तक यह नहीं पता है कि उनकी ग्राम पंचायत में कौन से कार्य हो रहे हैं , कौन से होने हैं , या विकास के लिए ग्राम पंचायत में कितना पैसा आया है।
महिलाओं को बराबरी का दर्जा प्राप्त होने के कारण शासन द्वारा ग्राम पंचायतों में महिलाओं को प्रधान क्षेत्र पंचायत सदस्य व ग्राम पंचायत सदस्य पद पर आरक्षण तो दे दिया गया है, और आरक्षण के सहारे महिलाएं उपरोक्त पदों पर काबिज भी हो गई हैं, लेकिन जिले की खासकर प्रधान पद पर काबिज ज्यादातर महिलाएं आज भी घरों में घूंघट में सिमटी बैठी नजर आ रही हैं। अधिकांश महिला प्रधानों के पति , पुत्र , देवर या ससुर ही प्रधान के रूप में उनका कामकाज देख रहे हैं। यही नहीं अधिकांश दस्तावेजों पर महिला प्रधानों के परिजन ही संबंधित महिला प्रधान के हस्ताक्षर भी बना देते हैं, सिर्फ बैंक से रुपए के लेनदेन वाले मामलों में ही महिला प्रधान से हस्ताक्षर करवाए जाते देखे जाते हैं , जबकि ज्यादातर महिला प्रधानों को यह भी आज तक पता नहीं है कि उनके खाते में किस मद में कितना रुपया विकास के लिए आया है। कितना रुपया निकल चुका है , और ग्राम पंचायत में क्या-क्या विकास कार्य हो रहे हैं , और क्या विकास कार्य प्रस्तावित है। यह जानकारी सिर्फ उनका कामकाज संभाल रहे उनके परिजनों को ही रहती है। सबसे गौरतलब और दिलचस्प बात तो यह है कि चाहे क्षेत्र पंचायत की बैठक हो ग्राम पंचायत की बैठक हो या ग्राम पंचायत के कोई अन्य कार्यक्रम हो अधिकांशतः इन कार्यक्रमों में भी महिला प्रधान अक्सर नदारद ही नजर आती हैं। उनके स्थान पर उनके घर वाले ही कार्यक्रम का संचालन करते नजर आते हैं। सबसे दिलचस्प बात तो इस बार जिले में देखने में आ रही है कि इस बार कई महिला प्रधानों के पुत्र पति देवर या ससुर प्रधान संगठनों में बिना कोई शर्म किए पदाधिकारी भी बन बैठे हैं। इससे दुर्भाग्यपूर्ण और क्या हो सकता है। महिलाओं के स्थान पर स्वयं पद पाकर पुरुष इतराते भी नजर आ रहे हैं।शासन व प्रशासन द्वारा महिलाओं के अधिकार पर किसी भी प्रकार का कुठाराघात न होने देने के दावे तो बहुत किए जाते हैं, लेकिन यह सब कुछ जानते और देखते हुए भी ग्राम विकास विभाग के अधिकारी व जिला प्रशासन अनजान सा बना नजर आ रहा है। इस संबंध में पूछे जाने पर जिला पंचायत राज अधिकारी ने कहा है कि महिला प्रधानों के पति , पुत्र , देवर या ससुर को बैठकों में महिला प्रधानों के स्थान पर भाग लेने का कोई अधिकार नहीं है , यदि ऐसा पाया जाता है , तो संबंधित के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।
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