आज से सात अगस्त तक मनाया जाएगा स्तनपान सप्ताह,आंगनवाड़ी देंगी गृह भ्रमण कर स्तनपान जागरूकता संदेश
उत्तर प्रदेश न्यूज21/ऑल इंडिया प्रेस एशोशियेशन
आज से सात अगस्त तक मनाया जाएगा स्तनपान सप्ताह
आंगनवाड़ी देंगी गृह भ्रमण कर स्तनपान जागरूकता संदेश
इटावा।जिले में 1 से 7 अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया जाएगा। इस अवसर पर संपूर्ण जिले के विभिन्न प्रखंडों में व्यापक रूप से जागरूकता अभियान चलेगा इसी कड़ी में आकर्षक कार्टूनों व स्लोगन से जागरूकता फैलाई जाएगी, यह कहना है जिला कार्यक्रम प्रबंधक संदीप दीक्षित का उन्होंने बताया जनपद की सभी आंगनबाड़ियों और आशा बहुएं घर घर जाकर स्तनपान कराने वाली महिलाओंको स्तनपान कराने से होने वाले लाभ से अवगत कर करवाएंगी, साथ ही कोरोना काल में धात्री महिलाएं स्वयं को और शिशु को कोरोना से बचाव किस प्रकार रखें यह तरीके भी बताएंगी।
आरसीएच नोडल डॉ सुशील कुमार ने बताया स्तनपान को बढ़ावा देने के लिए इस बार की वैश्विक थीम "स्तनपान सुरक्षा की जिम्मेदारी, साझा जिम्मेदारी" रखी गई है।
उन्होंने बताया कोविड-19 के कारण वर्तमान में समुदाय आधारित गतिविधियों का आयोजन संभव नहीं है।इसलिए विभाग द्वारा चलाया जा रहे संभव अभियान में स्तनपान जागरूकता को प्रमुखता से रखा गया है। अगस्त माह में स्तनपान व शिशु के ऊपरी आहार के प्रोत्साहन के लिए धात्री महिलाओं को जागरूक बनाने हेतु जिला अस्पतालों और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर हुए प्रसवों के बाद चिन्हित धात्री महिलाओं को स्तनपान सप्ताह में आंगनवाड़ी कार्यकर्ती के माध्यम से गृह भ्रमण करते हुए कुछ संदेशों के साथ स्तनपान के संदर्भ में जागरूक बनाया जाएगा।
जिला कार्यक्रम अधिकारी सुरेश यादव ने बताया जनपद में होने वाली अन्य गतिविधियों में भी आंगनबाड़ी कार्यरत हैं,इसलिए एक विशेष कार्य योजना निर्धारित कर और समन्वय स्थापित कर स्तनपान सप्ताह हर आंगनवाड़ी केंद्र पर मनाया जाएगा और उस क्षेत्र की सभी धात्री महिलाओं को स्तनपान कराने के लिए जागरूक किया जाएगा।
आंगनबाड़ियों के द्वारा गृह भ्रमण कर दिए जाएंगे विशेष संदेश
सभी धात्री माताएं सावधानी अपनाते हुए कोविड में भी स्तनपान जारी रखें ।
धात्री कोविड संक्रमण की पुष्टि हुई है तो नाक व मुंह पर मास्क लगाएं, और जहां स्तनपान कराएं उस स्थान को सैनिटाइज करें।
शिशु का सप्ताहिक वजन करवाएं
शिशु 6 माह का हो जाए तो उसे तरल व ऊपरी आहार देना शुरू करें।
बच्चों के आहार में भिन्नता लाकर पौष्टिक आहारयुक्त आदतों का निर्माण करें व शिशु को कुपोषण का से बचाएं।
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