30 मई का हिंदी पत्रकारिता का क्या है महत्व जानिए......
बहुत मुश्किलों से गुजर कर शुरु हो सका था ये अखबार
पंडित जुगल किशोर शुक्ल ने कलकत्ता से 30 मई, 1826 को "उदन्त मार्तण्ड नाम का एक साप्ताहिक समाचार पत्र के तौर पर शुरू किया था. शुरु से ही हिंदी पत्रकारिता को बहुत चुनौतियों का सामना करना पड़ा.
केवल हिंदी अखबार नहीं था तब
हिन्दी पत्रकारिता की शुरुआत बंगाल से हुई थी, जिसका श्रेय राजा राममोहन राय को दिया जाता है. पंडित जुगल किशोर शुक्ल ने कलकत्ता के कोलू टोला मोहल्ले की 27 नंबर आमड़तल्ला गली से उदंत मार्तंड के प्रकाशन की शुरुआत की थी. उस समय अंग्रेजी फारसी और बांग्ला में पहले से ही काफी समाचार पत्र निकल रहे थे, लेकिन हिंदी में एक भी समाचार पत्र नहीं निकल रहा था.
अंग्रेजी अखबार के बाद लंबा इंतजार
वैसे तो उदंत मार्तंड से पहले 1780 में एक अंग्रेजी अखबार की शुरुआत हुई थी. फिर भी हिंदी को अपने पहले समाचार-पत्र के लिए 1826 तक प्रतीक्षा करनी पड़ी. 29 जनवरी 1780 में आयरिश नागरिक जेम्स आगस्टस हिकी अंग्रेजी में 'कलकत्ता जनरल एडवर्टाइजर' नाम का एक समाचार पत्र शुरू किया था, जो भारतीय एशियाई उपमहाद्वीप का किसी भी भाषा का पहला अखबार था. 17 मई, 1788 को कानपुर में जन्मे युगल किशोर शुक्ल, ईस्ट इंडिया कंपनी की नौकरी के सिलसिले में कोलकाता गए.
कैसे शुरू पड़ी इस समाचार पत्र की नींव
कानपुर में जन्मे शुक्ल संस्कृत, फारसी, अंग्रेजी और बांग्ला के जानकार थे और 'बहुभाषज्ञ'की छवि से मंडित वे कानपुर की सदर दीवानी अदालत में प्रोसीडिंग रीडरी यानी पेशकारी करते हुए अपनी वकील बन गए. इसके बाद उन्होंने 'एक साप्ताहिक हिंदी अखबार 'उदंत मार्तंड'निकालने क प्रयास शुरू किए. तमाम प्रयासों के बाद उन्हें गवर्नर जनरल की ओर से उन्हें 19 फरवरी, 1826 को इसकी अनुमति मिली.
शुरुआत में ही आर्थिक चुनौती
इस साप्ताहिक समाचार पत्र के पहले अंक की 500 कॉपियां छपी लेकिन हिंदी भाषी पाठकों की कमी के कारण उसे ज्यादा पाठक नहीं मिल पाए. वहीं हिंदी भाषी राज्यों से दूर होने के कारण समाचार पत्र डाक द्वारा भेजना पड़ता था जो एक महंगा सौदा साबित हो रहा था. इसके लिए जुगल किशोर ने सरकार से बहुत अनुरोध किया कि वे डाक दरों में कुछ रियायत दें लेकिन ब्रिटिश सरकार इसके लिए तैयार नहीं हुई
केवल डेढ़ साल ही चल सका अखबार
यह समाचार पत्र हर मंगलवार पुस्तक के प्रारूप में छपता था. इसकी कुल 79 अंक ही प्रकाशित हो सके. 30 मई 1826 को शुरू हुआ यह अखबार आखिरकार 4 दिसंबर 1827 को बंद हो गया. इसकी वजह आर्थिक समस्या थी. इतिहासकारों के मुताबिक कंपनी सरकार ने मिशनरियों के पत्र को तो डाक आदि की सुविधा दी थी, लेकिन "उदंत मार्तंड" को यह सुविधा नहीं मिली. इसकी वजह इस अखबार का बेबाक बर्ताव था.
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