आज ट्रेड यूनियनों का भारत बंद, बैंकिंग सहित कई आवश्यक सेवाओं पर असर पड़ेगा
AIBEA की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि `लोकसभा ने हाल में खत्म हुए सत्र में तीन नए श्रम कानूनों को पारित किया है और आसानी से Busines के नाम पर 27 मौजूदा कानूनों को समाप्त कर दिया है। ये कानून शुद्ध रूप से इंजीनियरिंग जगत के फायदे के लिए हैं।
उत्तर प्रदेश न्यूज21टीम
नई दिल्ली: केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने आज एक दिन की देशव्यापी हड़ताल (राष्ट्रकवि हड़ताल) पर स्टेगी। इस हड़ताल में अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (AIBEA), अखिल भारतीय बैंक अधिकारी संघ (AIBOA) और बैंक इम्पलॉयीज फेडरेशन ऑफ इंडिया (BEFI) शामिल होंगे।
इस हड़ताल में भारतीय मजदूर संघ को छोड़कर 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियन भाग ले रहे हैं। इस हड़ताल में नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस (INTUC), ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (AITUC), हिंद मजदूर सभा (HMS), सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस (CITU), ऑल इंडिया यूनाइटेड ट्रेड यूनियन सेंटर (AIUTUC), ट्रेड यूनियन को- ऑर्डिनेशन सेंटर और सेल्फ इम्पलीलैंड वुमेंस एसोसिएशन शामिल हैं
बैंक यूनियन क्यों नाराज
AIBEA की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि 'लोकसभा ने हाल में खत्म हुए सत्र में तीन नए श्रम कानूनों को पारित किया है और आसानी से बसाइन के नाम पर 27 मौजूदा कानूनों को समाप्त कर दिया है। ये कानून शुद्ध रूप से इंजीनियरिंग जगत के फायदे के लिए हैं। इस प्रक्रिया में 75 परसेंट श्रमिकों को श्रम कानूनों के दायरे से बाहर कर दिया गया है। नए कानून में इन श्रमिकों को किसी भी तरह का कानूनी संरक्षण नहीं मिलेगा। '
बैंक यूनियन की मांग
AIBEA का यह भी कहना है कि आज बैंक कर्मचारी अपनी मांगों पर भी ध्यान देंगे जैसे बैंक निजीकरण का विरोध, और कॉन्ट्रैक्ट सिस्टम का विरोध, नियुक्तियों, बड़े पोर्टल डिफॉल्टर्स के खिलाफ कार्रवाई, बैंक डिपॉजिट की ब्याज दर: वृद्धि और सेवा शुल्क में कटौती ।बयान में कहा गया कि वर्तमान सरकार आत्मनिर्भर भारत के नाम पर निजीकरण के अपने एजेंडे को आगे बढ़ा रही है और बैंकिंग सहित इकोनमी के कोर सेक्टर में बड़े पैमाने पर निजीकरण कर रही है। एक नजर संघ की मांगों पर।
कर्मचारी संघ की माँगें क्या हैं
। सभी नॉन इनकम टैक्स चुकाने वाले परिवारों को प्रति माह 7500 रुपये दिए जाएंगे
। सभी जरूरतमंद लोगों को 10 किलो राशन प्रति व्यक्ति हर महीने दिया जाए
। संघ की मांग है कि मनरेगा का विस्तार किया जाए
। ग्रामीण रोजगार सुनिश्चित योजना के तहत बढ़े हुए वेतन के साथ साल में 200 दिन काम दिया जाएगा, इसे शहरों तक बढ़ाया जाना चाहिए
। किसानों और वर्कर्स के बनाए बनाए कानूनों और नियमों को वापस लिया जाए
। सरकारी कंपनियों का निजीकरण बंद किया जाए
। सरकारी लेनदेन और सेवा कंपनियों जैसे रेलवे, बंदरगाह, फैक्ट्रियों को कोओरेज के हाथों में जाने से रोका जा रहा है।
। सरकारी कर्मचारियों के प्री-मैच्योर रिटायरमेंट के सर्कुलर को वापस लिया जाएगा
। राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली को खत्म करना सभी के लिए पेंशन की व्यवस्था की जानी चाहिए
हड़ताल में महाराष्ट्र के 30,000 बैंक कर्मचारी
AIBEA में चार लाख सदस्य हैं, जिनमें कई सरकारी बैंक, कुछ पुराने निजी बैंक और कुछ विदेशी बैंक के कर्मचारी भी शामिल हैं। इस यूनियन में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और इंडियन ओवरसीज बैंक शामिल नहीं हैं। महाराष्ट्र में 10 हजार सरकारी बैंक, पुराने निजी बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक और विदेशी बैंकों के 30 हजार के करीब कर्मचारी इस हड़ताल में भाग ले रहे हैं। पंजाब और सिंध बैंक जैसे कुछ बैंकों ने हड़ताल के साथ साथ ये भी सुनिश्चित किया है कि आवश्यक बैंकिंग सेवाओं पर असर न पड़े।
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