निश्शुल्क क्लास लगाकर करीब 100 से अधिक युवतियों को संगीत में दक्ष कर चुकी
उत्तर प्रदेश न्यूज21
औरैया : जीवन में संगीत के सुर न हो तो फिर नीरसता ही है। आधुनिक युग में युवतियों में संगीत कला का ह्रास हो रहा है। बेटियों को इसी इम्तिहान में सफलता दिलाने व वाद्य यंत्रों के सुर ताल में पारंगत करने का काम शहर के रुहाई मुहाल निवासी संगीत शिक्षिका नीतू गुप्ता कर रही हैं। निश्शुल्क क्लास लगाकर करीब 100 से अधिक युवतियों को संगीत में दक्ष कर चुकी हैं।उनका मानना संगीत की ध्वनि से उपजे रस हमारी मानसिक पीड़ा को हरने वाले भी हैं। शांति का इससे बढ़कर कोई साधन नहीं है। इसीलिए संगीत को ईश्वर साधना भी कहा गया है। नारी सशक्तीकरण के दौर में हरमोनियम, ढोलक वादन, गायन व नृत्य की शिक्षा देकर बेटियों को
स्वावलंबी बनाने में मदद की। जीवन जीने की कला सिखाकर स्वयं ही सुख की अनूभूति करती हैं। यह भी मानना है कि संगीत की उत्पत्ति सृष्टि के साथ हुई है। वैज्ञानिक युग में इसका महत्व और भी बढ़ गया है। मानव जीवन में चीखने, उछलने, कूदने में जो लय व गति है, वह भी संगीत का ही भाग है। विज्ञान द्वारा यह प्रमाणित है कि संगीत व स्वास्थ्य का गहरा रिश्ता है। प्रतिदिन ध्यान मग्न होकर गीत, संगीत सुनने मात्र से हम तमाम रोगों से बच सकते हैं। मस्तिष्क की नसों के तनाव से मुक्ति मिलती है। गायन से फेफड़ों की योगक्रिया भी होती है। याददाश्त, एकाग्रता में वृद्धि भी होती है। ज्योत्सना सिंह, मेघा बाजपेयी, श्रद्धा गुप्ता, मंजरी गुप्ता, मणिकंचन त्रिपाठी, शिखा वर्मा, ज्योति शुक्ला, भावना, आकृति चतुर्वेदी, सतनाम कौर, शिप्रा विश्नोई आदि सैकड़ों बालिकाएं नृत्य, गायन व वादन में पारंगत हो चुकी हैं। वह निरंतर अभी भी बेटियोंमें संगीत के माध्यम से प्रतिभा निखारने व स्वावलंबी बनाने के लिए प्रयासरत हैं।
स्वावलंबी बनाने में मदद की। जीवन जीने की कला सिखाकर स्वयं ही सुख की अनूभूति करती हैं। यह भी मानना है कि संगीत की उत्पत्ति सृष्टि के साथ हुई है। वैज्ञानिक युग में इसका महत्व और भी बढ़ गया है। मानव जीवन में चीखने, उछलने, कूदने में जो लय व गति है, वह भी संगीत का ही भाग है। विज्ञान द्वारा यह प्रमाणित है कि संगीत व स्वास्थ्य का गहरा रिश्ता है। प्रतिदिन ध्यान मग्न होकर गीत, संगीत सुनने मात्र से हम तमाम रोगों से बच सकते हैं। मस्तिष्क की नसों के तनाव से मुक्ति मिलती है। गायन से फेफड़ों की योगक्रिया भी होती है। याददाश्त, एकाग्रता में वृद्धि भी होती है। ज्योत्सना सिंह, मेघा बाजपेयी, श्रद्धा गुप्ता, मंजरी गुप्ता, मणिकंचन त्रिपाठी, शिखा वर्मा, ज्योति शुक्ला, भावना, आकृति चतुर्वेदी, सतनाम कौर, शिप्रा विश्नोई आदि सैकड़ों बालिकाएं नृत्य, गायन व वादन में पारंगत हो चुकी हैं। वह निरंतर अभी भी बेटियोंमें संगीत के माध्यम से प्रतिभा निखारने व स्वावलंबी बनाने के लिए प्रयासरत हैं।
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