* पेरियार ललई सिंह ने समाज को नई दिशा दी : डॉ रामाधीन बौद्ध*
ब्यूरो चीफ सौरभ त्यागी
*उत्तर भारत के व आधुनिक पेरियार, सामाजिक क्रांति के महानायक,सामाजिक चिंतक,लेखक,बुद्धिष्ट,तर्क विवेक,वैज्ञानिक सोच के धनी बहुजन साहित्य के
प्रचारक,पाखंडवाद,मनुवाद कड़ा प्रहार करने वाले ललई सिंह बौद्ध जी को उनके जन्मदिवस पर बहुजन मिशनरी साथियों ने उनके जन्मदिन के अवसर पर उमरारखेरा स्थित डॉ प्रोफ़ेसर धर्मेंद्र कुमार जी के आवास पर एक विचार संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें ललई सिंह बौद्ध को श्रद्धा सुमन अर्पित कर उन्हें याद किया गया व उनके दर्शन,विचारों एवं सिद्धांतों पर गहन चिंतन मनन किया गया।*
प्रचारक,पाखंडवाद,मनुवाद कड़ा प्रहार करने वाले ललई सिंह बौद्ध जी को उनके जन्मदिवस पर बहुजन मिशनरी साथियों ने उनके जन्मदिन के अवसर पर उमरारखेरा स्थित डॉ प्रोफ़ेसर धर्मेंद्र कुमार जी के आवास पर एक विचार संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें ललई सिंह बौद्ध को श्रद्धा सुमन अर्पित कर उन्हें याद किया गया व उनके दर्शन,विचारों एवं सिद्धांतों पर गहन चिंतन मनन किया गया।*
*संगोष्ठी में बोलते हुए वरिष्ठ बहुजन चिंतक एवं बौद्धाचार्य डॉ रामाधीन बौध्द ने कहा कि ललई सिंह बौद्ध का दर्शन आज अधिक प्रासांगिक है उसे आत्मसात करने व समझने की आवश्यकता है उन्होंने कहा कि अंधकार अज्ञानता में रहकर व्यक्ति अपना संपूर्ण विकास कतई नहीं कर सकता है अज्ञानता एवं अंधकार के वशीभूत होकर व्यक्ति सिर्फ अपना समय बर्बाद करता है उन्होंने कहा कि नित्यवादियों व पाखंड के समर्थकों ने ललई सिंह बौद्ध के दर्शन को दफना दिया एवं उन्हें समाज द्रोही,धर्म द्रोही साबित करने की साजिश की गई है जबकि उन्होंने बुद्ध पेरियार कबीर शाहू फूले अंबेडकर,ओशो के दर्शन व मिशन को ही आगे बढ़ाने का कार्य किया है व उनके विचारों माननीय सुप्रीम कोर्ट ने सच साबित किया है।*
*भगवान सिंह यादव ने बताया कि ललई सिंह बौद्ध ने किस तरह अंधभक्ति,अंधश्रद्धा अंधविश्वास व पाखंडवाद के विरुद्ध अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया और वे अपने उद्देश्य को सफल बनाने में कामयाब हुए व हाई कोर्ट सुप्रीम कोर्ट से उन्होंने अपने विचारधारा को जीत दिलाई उन्होंने बताया कि ललई सिंह बौद्ध ने अपनी पुलिस की नौकरी त्याग कर,अपने निजी जमीन को बेचकर व ऐशोआराम की जिंदगी त्याग कर सच साबित करने व झूठ का पर्दाफाश करने के लिए अपना जीवन खपा दिया व अंतिम सांस तक संघर्ष किया और विजय भी प्राप्त की। आज ललई सिंह बौद्ध के योगदान को समस्त बहुजन याद कर रहा है व उनसे प्रेरणा ले रहा है।*
*डॉ रीतेश कुमार वर्मा ने वर्तमान समय में विज्ञान वर्ग से पढ़े लिखे प्रोफेसर डॉक्टर्स,साइंटिस्ट व अन्य बुद्धिजीवी वर्ग में व्याप्त पाखंड,अंधश्रद्धा,अंधभक्ति अंधविश्वास पर कहा कि दुनिया आज भारत पर हंस रही है,तंज कसा रही है उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए हमें बुद्धिस्ट वैज्ञानिक सोच पर ही आगे बढ़ना होगा अन्यथा की स्थिति में हमें दूसरे देशों पर ही निर्भर रहना पड़ेगा और विश्व में भारत अन्य देशों के मुकाबले और पिछड़ जाएगा क्योंकि वैज्ञानिक आविष्कार सब विदेशों में हो रहे हैं हम उनसे तकनीक खरीद रहे हैं।*
*इस मौके पर कालीचरण बाबू ,भगवती शरण पांचाल, श्यामबिहारी आदि ने भी विचार रखे संगोष्ठी की अध्यक्षता ने रामसनेही बाबू ने की व संचालन के दायित्व का निर्वहन सुंदर सिंह शास्त्री किया।*
*इस मौके पर मुख्य रूप से चमन यादव, जगदीश प्रसाद यादव, प्रमोद गौतम,चंद्रशेखर ,वृंदावन अहिरवार,वीरेंद्र बौद्ध, प्रेमकुमार कुशवाहा,अनिल त्यागी,छत्रपाल सिंह,इंद्रपाल सिंह, मोहित चौधरी, लला अहिरवार आदि उपस्थित रहे।*
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