कानपुर की गंगा कटरी में पल रहा एक और विकास दुबे, उसकी मर्जी के बिना नहीं हिलता पत्ता
कानपुर की गंगा कटरी में पल रहा एक और विकास दुबे, उसकी मर्जी के बिना नहीं हिलता पत्ता
उत्तर प्रदेश न्यूज21ऑल इंडिया प्रेस एसोशिएशन
कानपुर:बिकरू कांड के बाद अपराधियों को शह देने वाले पुलिस वालों को चिह्नित करने के लिए सरकार गंभीर है, लेकिन हकीकत में ऐसा होता नहीं दिख रहा। यदि ऐसा होता तो विकास दुबे की तरह गंगा कटरी में दहशत कायम करने वाला हिस्ट्रीशीटर पूर्व प्रधान रामदास बेखौफ न होता। कानपुर और कन्नौज के थानों में उसके खिलाफ 24 मुकदमे दर्ज हैं। कटरी में उसकी दहशत इतनी है कि कोई एक इंच जमीन पर उसकी मर्जी के बिना कब्जा नहीं ले सकता।हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे को सरपरस्ती देने का अंजाम भुगतने के बाद भी कानपुर पुलिस सबक नहीं ले रही। ग्वालटोली, कोहना और नबावगंज थाने की पुलिस भी वही गलती कर रही है, जो चौबेपुर थाने की पुलिस और वहां के थानेदार ने की। पुलिस की ढिलाई माना जाए या खैरख्वाही, जिस टॉपटेन हिस्ट्रीशीटर पर शिकंजा होना चाहिए वह कटरी में दहशत का पर्याय बनकर भू-माफिया को भूमिधरी नंबर की आड़ में सरकारी जमीन पर कब्जे करा रहा है। दबंगई का आलम ये है कि सत्ता पक्ष के ही एक बड़े नेता को कटरी में जमीन लेने के बाद ठौर नहीं मिला। सत्ता के शीर्ष तक फरियाद के बाद जांच के आदेश हुए, लेकिन जांच रिपोर्ट ही दबा ली गई। जागरण द्वारा मामला उठाए जाने पर आला अधिकारी सक्रिय हुए तो फिर जांच की कवायद शुरू हुई है।जमीन पर कब्जे व मछली के शिकार पर एकाधिकारकटरी में जमीन का चिह्नांकन न होने को आधार बनाकर हिस्ट्रीशीटर संगठित तरीके से कब्जे करता है। डेढ़ दशक से कटरी शंकरपुर सराय में जमे राजस्व विभाग के खास मुलाजिम द्वारा भू-अभिलेखों में तैयार किया गया तिलिस्म उसकी ताकत है। बैराज पर होने वाले अवैध मछली के शिकार पर भी उसका एकाधिकार है।मंदिर में लगाता दरबार, सुनाता है फरमानकटरी शंकरपुर सराय या उसके आसपास के गांवों में जमीन का कोई विवाद होने पर लोग हिस्ट्रीशीटर के मंदिर में लगने वाले दरबार में हाजिरी लगाते हैं। चढ़ौती के बाद निपटारे की गारंटी मिल जाती है।
आपराधिक इतिहास दहशत की वजह वर्ष 1993 में उन्नाव के गंगाघाट थाना क्षेत्र के गांव में आरोपित ने एक व्यक्ति का अपहरण करने के बाद हत्या की थी। वर्ष 1994 में उसने कन्नौज के छिबरामऊ में भी अपहरण, हत्या की वारदात की। एक साल बाद गांव की जमीन कब्जाने के लिए कई परिवारों पर कातिलाना हमले किए। पुलिस ने उसे पकड़कर जेल भेजा। 1998 में पुलिस पकडऩे पहुंची तो हमला किया था।वर्ष 2014 में उसने ग्वालटोली क्षेत्र में हत्या की, तब पुलिस ने उसे फिर जेल भेजा। कुछ माह पूर्व जेल से छूटकर आया। उस पर अकेले ग्वालटोली थाने में 19 मुकदमे दर्ज हैं। इसके अलावा उन्नाव, कन्नौज, नवाबगंज, कोतवाली में भी मामले दर्ज हैं।
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