*नई शिक्षा नीति से छात्र-छात्राओं का भविष्य का उज्जवल अंजुल चौबे
*नई शिक्षा नीति से छात्र-छात्राओं का भविष्य का उज्जवल*- *अंजुल चौबे*
औरेया । सुदिति ग्लोबल एकेडमी के पी•टी•आई अंजुल चौबे ने नई शिक्षा नीति का स्वागत करते हुए कहा की• इससे पहले 1986 में शिक्षा नीति लागू की गई थी. 1992 में इस नीति मेंकुछ संशोधन किए गए थे. यानी 34 साल बाद देश में एक नई शिक्षा नीति लागू की जा रही है. इतने बड़े समय अंतराल के बाद शिक्षा नीति में बदलाव किया गया है। और सबसे बड़ी खुशी की बात है कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय से पहले शिक्षा विभाग का नाम जोड़ा जाता था अब शिक्षा विभाग अपने नाम से जाना जाएगा।इस शिक्षा नीति से सबसे अधिक फायदा स्कूल से दूर रह रहे दो करोड़ बच्चों को दोबारा मुख्य धारा से जोड़ने का काम करेगा इसके लिए स्कूल के बुनियादी ढांचे का विकास और नवीन शिक्षा केंद्रों की स्थापनी भी होगी।और आर्थिक नज़रिए से वंचित समूहों (SEDG) की शिक्षा पर विशेष ज़ोर दिया जाएगा. पहली बार मल्टीपल एंट्री और एग्ज़िट सिस्टम लागू किया गया है. आप इस से समझ सकते हैं. आज की व्यवस्था में अगर चार साल इंजीनियरिंग पढ़ने या छह सेमेस्टर पढ़ने के बाद किसी कारणवश आगे नहीं पढ़ पाते हैं तो आपके पास कोई उपाय नहीं होता, लेकिन मल्टीपल एंट्री और एग्ज़िट सिस्टम में एक साल के बाद सर्टिफ़िकेट, दो साल के बाद डिप्लोमा और तीन-चार साल के बाद डिग्री मिल जाएगी. इससे उन छात्रों को बहुत फ़ायदा होगा जिनकी पढ़ाई बीच में किसी वजह से छूट जाती है.नई शिक्षा नीति में छात्रों को ये आज़ादी भी होगी कि अगर वो कोई कोर्स बीच में छोड़कर दूसरे कोर्स में दाख़िला लेना चाहें तो वो पहले कोर्स से एक ख़ास निश्चित समय तक ब्रेक ले सकते हैं और दूसरा कोर्स ज्वाइन कर सकते हैं।सभी भारतीय भाषाओं के लिए संरक्षण, विकास और उन्हें और जीवंत बनाने के लिए नई शिक्षा नीति में पाली, फ़ारसी और प्राकृत भाषाओं के लिए एक इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ ट्रांसलेशन एंड इंटरप्रिटेशन (आईआईटीआई), राष्ट्रीय संस्थान की स्थापना करने, उच्च शिक्षण संस्थानों में संस्कृत और सभी भाषा विभागों को मज़बूत करने और ज़्यादा से ज़्यादा उच्च शिक्षण संस्थानों के कार्यक्रमों में, शिक्षा के माध्यम के रूप में मातृभाषा/ स्थानीय भाषा का उपयोग करने की सिफ़ारिश की गई है. क्योंकि जो अधिक से अधिक जानकारी अपनी मातृभाषा में आप प्राप्त कर सकते हैं वह किसी अन्य भाषा में प्राप्त नहीं कर सकते।इससे मातृ भाषाओं को भी बढ़ावा मिलेगा।
औरेया । सुदिति ग्लोबल एकेडमी के पी•टी•आई अंजुल चौबे ने नई शिक्षा नीति का स्वागत करते हुए कहा की• इससे पहले 1986 में शिक्षा नीति लागू की गई थी. 1992 में इस नीति में कुछ संशोधन किए गए थे. यानी 34 साल बाद देश में एक नई शिक्षा नीति लागू की जा रही है. इतने बड़े समय अंतराल के बाद शिक्षा नीति में बदलाव किया गया है। और सबसे बड़ी खुशी की बात है कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय से पहले शिक्षा विभाग का नाम जोड़ा जाता था अब शिक्षा विभाग अपने नाम से जाना जाएगा।इस शिक्षा नीति से सबसे अधिक फायदा स्कूल से दूर रह रहे दो करोड़ बच्चों को दोबारा मुख्य धारा से जोड़ने का काम करेगा इसके लिए स्कूल के बुनियादी ढांचे का विकास और नवीन शिक्षा केंद्रों की स्थापनी भी होगी।और आर्थिक नज़रिए से वंचित समूहों (SEDG) की शिक्षा पर विशेष ज़ोर दिया जाएगा. पहली बार मल्टीपल एंट्री और एग्ज़िट सिस्टम लागू किया गया है. आप इस से समझ सकते हैं. आज की व्यवस्था में अगर चार साल इंजीनियरिंग पढ़ने या छह सेमेस्टर पढ़ने के बाद किसी कारणवश आगे नहीं पढ़ पाते हैं तो आपके पास कोई उपाय नहीं होता, लेकिन मल्टीपल एंट्री और एग्ज़िट सिस्टम में एक साल के बाद सर्टिफ़िकेट, दो साल के बाद डिप्लोमा और तीन-चार साल के बाद डिग्री मिल जाएगी. इससे उन छात्रों को बहुत फ़ायदा होगा जिनकी पढ़ाई बीच में किसी वजह से छूट जाती है.नई शिक्षा नीति में छात्रों को ये आज़ादी भी होगी कि अगर वो कोई कोर्स बीच में छोड़कर दूसरे कोर्स में दाख़िला लेना चाहें तो वो पहले कोर्स से एक ख़ास निश्चित समय तक ब्रेक ले सकते हैं और दूसरा कोर्स ज्वाइन कर सकते हैं।सभी भारतीय भाषाओं के लिए संरक्षण, विकास और उन्हें और जीवंत बनाने के लिए नई शिक्षा नीति में पाली, फ़ारसी और प्राकृत भाषाओं के लिए एक इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ ट्रांसलेशन एंड इंटरप्रिटेशन (आईआईटीआई), राष्ट्रीय संस्थान की स्थापना करने, उच्च शिक्षण संस्थानों में संस्कृत और सभी भाषा विभागों को मज़बूत करने और ज़्यादा से ज़्यादा उच्च शिक्षण संस्थानों के कार्यक्रमों में, शिक्षा के माध्यम के रूप में मातृभाषा/ स्थानीय भाषा का उपयोग करने की सिफ़ारिश की गई है. क्योंकि जो अधिक से अधिक जानकारी अपनी मातृभाषा में आप प्राप्त कर सकते हैं वह किसी अन्य भाषा में प्राप्त नहीं कर सकते।इससे मातृ भाषाओं को भी बढ़ावा मिलेगा।
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