परीक्षा रोकवाने निकले नेता बिहार चुनाव पर चुप क्यों -वीरेन्द्र बहादुर सिंह
पूरे देश के विपक्षी नेताओं को एकाएक परीक्षा देने वाले विद्यार्थियों पर दया उमड़ आई है और जेईई तथा नीट की परीक्षा टालने की मांग कर रहे हैं। सितंबर महीने में होने वाली इस परीक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट ने ग्रीन सिग्नल दे दिया है। 85 प्रतिशत विद्यार्थियों ने परीक्षा देने के लिए एडमिट कार्ड भी डाऊनलोड कर लिया है। परंतु विपक्ष के नेता इस मुद्दे पर फिर सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कर रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि यही विपक्षी नेता बिहार में नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव के मामले में चुप हैं और आराम से चुनाव की तैयारियोें में लगे हुए हैं।
राजनीति हमेशा स्वार्थी होती है, इसका सुबूत जेईई-नीट की परीक्षा और बिहार के चुनाव से मिल रहा है। बिहार चुनाव समय से ही होंगे, इसकी घोषण हो चुकी है। इसलिए अब पूरा अक्टूबर-नवंबर बिहार चुनाव की कार्रवाई में व्यस्त रहेगा। रैलियां, उम्म्ीदवारों का चुनाव, उम्मीदवारों द्वारा अपनी उम्मीदवारी का फार्म भरना, चुनाव प्रचार और चुनावी रैलियां और उसके बाद चुनाव। मतगणना और विजय जुलूस। सवाल यह है कि इस चुनाव प्रक्रिया में किसी राजनीतिक दल को कोरोना का भय नहीं लग रहा। बिहार की जनता को चुनाव की वजह से कोरोना हो सकता, यह आरोप लगा कर कोई राजनीतिक दल सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने नहीं जा रहा है। उलटे राजनीतिक पार्टियां बिहार में अपने चुनावी दांवपेंच लगाने में जुटी हैं। यह एक कड़वा सच राजनीतिक पार्टियों का है।
बिहार में चुनाव होना है, यह तय हो चुका है। इसलिए विपक्ष अपना तालमेल बैठाने में लगा है। बिहार में एनडीए की सरकार है, जिसमें जेडीयू, भाजपा तथा एलजेपी शामिल है। चुनाव की घोषणा के पहले एललेपी के चिराग पासवान सीटों के मुद्दे पर मीडिया के सामने आ चुके हैं और एक बार वह समर्थन वापस
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