ग्राम पंचायत सिहारी में कागजों पर बह रही है विकास की गंगा
ब्यूरोचीफ:-सौरभ त्यागी जालौन
माधौगढ़ जालौन माधौगढ विकास खण्ड के ग्राम पंचायत सिहारी में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा दिये गये ग्राम विकास की श्रृंखला में अनुदान सिर्फ कागजों तक ही सीमित है मनरेगा से लेकर शौचालय तक नालियों से लेकर आवास तक या कुआं की सफाई हो या हैंडपंप सभी कार्य में सिर्फ कागजी कार्यवाही हुई है और सभी ने मिलकर सरकारी धन का हनन किया ।
शौचालय में ,2000 रू व आवास में 20000 रू ले लिए गये और किसी को इसकी भनक तक नहीं लगी अगर गांव बात की जाए तो हर गली में निकलना दुश्वार हो गया है न तो कोई नालियों की सफाई हुईं हैं न तालाबों की हुई तो सिर्फ़ कागजी कार्यवाही कहीं एक कुएं को पांच बार सफाई में अलग-अलग व्यक्ति के नाम पर दिखाकर पैसे हड़प लिए जाते हैं तो कहीं सड़क गौशाला के नाम पर लेकिन सत्यता कुछ ओर ही प्रमोद कुमार राठौर के यहां से सुभाष चंद्र तिवारी व सुग्रीव के यहां तक रोड जर्जर हालत में पड़ा हुआ जिसकी सिर्फ कागजी कार्यवाही हुईं हैं एवं नालियों की सफाई न होने से अरूण तिवारी के द्वार पर अत्याधिक गढ्ढा हो गया है एवं हैंडपंप पर गंदगी पड़ी हुई हैं जिससे संक्रमण का ख़तरा है और गांव की हालत अस्त व्यस्त पड़ी हुई हैं और मनरेगा के नाम पर सिर्फ जाब कार्ड की भराई ग्राम प्रधान द्वारा की जाती है एवं जो व्यक्ति मनरेगा कार्य पर नहीं जाते न ही बाहरी मजदूर हैं उन्हीं को प्रवासी मजदूर मानकर 50 पर्सेंट पर ग्राम प्रधान राजेंद्र पाल द्वारा जाब कार्ड की भराई की जाती है जिसमें सेकेट्री,प्रधान व गांव के कुछ चाटू मिलकर सरकारी धन से कागजी कार्यवाही कर गांव की विकास धारा को विराम देते हैं और गांव वालों के आवाज उठाने पर मारने की धमकी देते रहते है- किसी व्यक्ति ने शिकायत की भी तो उसकी अधिकारी नहीं सुनते अत्याधिक प्रयास करने पर सिर्फ खानापूर्ति ही हो पाती और प्रशासन मूकदर्शक बना देखता रहता हर गांव की यही स्थिति है किन्तु आलाधिकारियों के साथ न देने से यह ग्रामीणों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है लेकिन यहां जैसी सरकार है वैसे ही अधिकारी है लेकिन अब आम जनता जाये तो जाये कहां क्योंकि अधिकारियों द्वारा सिर्फ खानापूर्ति व अश्वाशन ही मिलता है
शौचालय में ,2000 रू व आवास में 20000 रू ले लिए गये और किसी को इसकी भनक तक नहीं लगी अगर गांव बात की जाए तो हर गली में निकलना दुश्वार हो गया है न तो कोई नालियों की सफाई हुईं हैं न तालाबों की हुई तो सिर्फ़ कागजी कार्यवाही कहीं एक कुएं को पांच बार सफाई में अलग-अलग व्यक्ति के नाम पर दिखाकर पैसे हड़प लिए जाते हैं तो कहीं सड़क गौशाला के नाम पर लेकिन सत्यता कुछ ओर ही प्रमोद कुमार राठौर के यहां से सुभाष चंद्र तिवारी व सुग्रीव के यहां तक रोड जर्जर हालत में पड़ा हुआ जिसकी सिर्फ कागजी कार्यवाही हुईं हैं एवं नालियों की सफाई न होने से अरूण तिवारी के द्वार पर अत्याधिक गढ्ढा हो गया है एवं हैंडपंप पर गंदगी पड़ी हुई हैं जिससे संक्रमण का ख़तरा है और गांव की हालत अस्त व्यस्त पड़ी हुई हैं और मनरेगा के नाम पर सिर्फ जाब कार्ड की भराई ग्राम प्रधान द्वारा की जाती है एवं जो व्यक्ति मनरेगा कार्य पर नहीं जाते न ही बाहरी मजदूर हैं उन्हीं को प्रवासी मजदूर मानकर 50 पर्सेंट पर ग्राम प्रधान राजेंद्र पाल द्वारा जाब कार्ड की भराई की जाती है जिसमें सेकेट्री,प्रधान व गांव के कुछ चाटू मिलकर सरकारी धन से कागजी कार्यवाही कर गांव की विकास धारा को विराम देते हैं और गांव वालों के आवाज उठाने पर मारने की धमकी देते रहते है- किसी व्यक्ति ने शिकायत की भी तो उसकी अधिकारी नहीं सुनते अत्याधिक प्रयास करने पर सिर्फ खानापूर्ति ही हो पाती और प्रशासन मूकदर्शक बना देखता रहता हर गांव की यही स्थिति है किन्तु आलाधिकारियों के साथ न देने से यह ग्रामीणों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है लेकिन यहां जैसी सरकार है वैसे ही अधिकारी है लेकिन अब आम जनता जाये तो जाये कहां क्योंकि अधिकारियों द्वारा सिर्फ खानापूर्ति व अश्वाशन ही मिलता है
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