कोरोना से जंग के साथ मातृ-शिशु देखभाल भी जरूरी**आवश्यक सामुदायिक स्वास्थ्य सेवाओं को बहाल करने की पहल*
प्रसव पूर्व देखभाल, टीकाकरण व एचबीएनसी की सेवाएं मिलेंगी सबसे अधिक प्रभावित 18 जिलों में अभी निलंबित रहेंगी सेवाएं
उत्तरप्रदेश न्यूज़21 समाचार संपादक अमित चतुर्वेदी
औरैया । कोरोना से जंग के साथ जनमानस का स्वास्थ्य विभाग के प्रति विश्वास बनाये रखना और समुदाय में
आवश्यक मातृ-शिशु स्वास्थ्य, टीकाकरण और परिवार नियोजन की सेवाएं मुहैया कराना भी बहुत ही जरूरी हैं । किसी भी बीमारी के गंभीर रूप लेने और मातृ-शिशु मृत्यु दर को बढ़ने से रोकने के लिहाज से भी यह बहुत जरूरी है । इसी को ध्यान में रखते हुए प्रमुख सचिव स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद ने स्वास्थ्य विभाग के आला अफसरों के साथ ही जिलाधिकारियों को पत्र भेजकर कहा है कि कोविड -19 को देखते हुए मातृ व नवजात संबंधी जो आवश्यक सामुदायिक आउटरीच सेवाएं स्थगित करनी पड़ीं थीं, उन्हें सामान्य स्थिति वाले स्थानों पर बहाल किया जाए । लखनऊ-आगरा समेत प्रदेश के उन 18 जिलों में अभी यह सेवाएं निलंबित रहेंगी, जहाँ पर कोरोना के चलते स्थिति गंभीर है । इसके अलावा 40 जिलों के केवल उन क्षेत्रों में यह सेवाएं नहीं शुरू हो पाएंगी, जहाँ पर कोरोना के केस पाए गए हैं । प्रदेश के 17 जिलों में जहाँ कोई केस दर्ज नहीं हुए हैं वहां पर इन सेवाओं को पूर्व की भांति बहाल किए जाने के निर्देश दिए गए हैं । भविष्य में कोरोना को लेकर जिन जिलों में स्थितियां बदलती हैं, वहां पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी अपने हिसाब से सेवाओं को बहाल करने और निलंबित करने का निर्णय लेंगे ।
आवश्यक मातृ-शिशु स्वास्थ्य, टीकाकरण और परिवार नियोजन की सेवाएं मुहैया कराना भी बहुत ही जरूरी हैं । किसी भी बीमारी के गंभीर रूप लेने और मातृ-शिशु मृत्यु दर को बढ़ने से रोकने के लिहाज से भी यह बहुत जरूरी है । इसी को ध्यान में रखते हुए प्रमुख सचिव स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद ने स्वास्थ्य विभाग के आला अफसरों के साथ ही जिलाधिकारियों को पत्र भेजकर कहा है कि कोविड -19 को देखते हुए मातृ व नवजात संबंधी जो आवश्यक सामुदायिक आउटरीच सेवाएं स्थगित करनी पड़ीं थीं, उन्हें सामान्य स्थिति वाले स्थानों पर बहाल किया जाए । लखनऊ-आगरा समेत प्रदेश के उन 18 जिलों में अभी यह सेवाएं निलंबित रहेंगी, जहाँ पर कोरोना के चलते स्थिति गंभीर है । इसके अलावा 40 जिलों के केवल उन क्षेत्रों में यह सेवाएं नहीं शुरू हो पाएंगी, जहाँ पर कोरोना के केस पाए गए हैं । प्रदेश के 17 जिलों में जहाँ कोई केस दर्ज नहीं हुए हैं वहां पर इन सेवाओं को पूर्व की भांति बहाल किए जाने के निर्देश दिए गए हैं । भविष्य में कोरोना को लेकर जिन जिलों में स्थितियां बदलती हैं, वहां पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी अपने हिसाब से सेवाओं को बहाल करने और निलंबित करने का निर्णय लेंगे ।
ग्राम स्वास्थ्य पोषण दिवस (वीएचएनडी) के आयोजन को लेकर भी कई जरूरी दिशा-निर्देश दिए गए हैं । इनके मुताबिक सत्र आयोजन से पूर्व आशा कार्यकर्ता उन गर्भवती की सूची तैयार करेंगी, जिनमें कोरोना के कोई लक्षण जैसे-सर्दी, खांसी, बुखार और सांस फूलना आदि नजर आते हैं । यह सूची वह प्रभारी चिकित्सा अधिकारी को सत्र आयोजन से पहले मुहैया कराएंगी । इसके साथ ही सत्र के दौरान सोशल डिस्टेंशिंग, मास्क पहनने, साबुन से हाथ धोने और संक्रमण रोकथाम सम्बन्धी निर्देशों का कड़ाई से पालन करना होगा । आशा कार्यकर्ता द्वारा हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर भी सेवाएं लेने के लिए गर्भवती को सोशल डिस्टेंशिंग का पालन करते हुए जाने के लिए प्रेरित किया जाए । सत्र आयोजन स्थल को ब्लीचिंग पाउडर के घोल से कीटाणुरहित किया जाए । यदि वीएचएनडी स्थल को क्वेरेंटाइन सेंटर के रूप में प्रयोग किया जा रहा है तो सत्र के लिए अन्य स्थल का चयन किया जाए और उसकी सूचना भी लाभार्थियों और एएनएम तक पहुँचाना सुनिश्चित किया जाए । सत्र के दौरान एएनएम द्वारा इस्तेमाल किये जाने वाले उपकरणों को भी सेनेटाइजर से अच्छी तरह से विसंक्रमित करने के बाद ही इस्तेमाल किया जाए । वीएचएनडी सत्र के दौरान हाथ धुलने के लिए एक कार्नर बनाया जाए, जहाँ पर साबुन-पानी से कम से कम 20 सेकंड तक हाथ धुलकर लाभार्थी और उनके देखभाल करने वाले अंदर आ सकें । एक समय पर चार से ज्यादा लाभार्थी स्थल पर न जुटने पाएं, इसके लिए उन्हें पहले से तय समय (टाइम स्लाट) पर ही आने को प्रेरित किया जाए ।
प्रथम पंक्ति की कार्यकर्ताओं आशा, एएनएम और आंगनबाड़ी को भी इन गतिविधियों के सञ्चालन के दौरान सुरक्षा संबंधी दिशा-निर्देशों का कड़ाई से पालन करने को कहा गया है । प्रत्येक लाभार्थी के टीकाकारण और किसी भी जांच से पहले एएनएम को सेनेटाइजर से हाथों को अच्छी तरह से साफ़ करने को कहा गया है । यदि किसी प्रथम पंक्ति कार्यकर्ता में इन्फ्लुएंजा यानि सर्दी- खांसी -बुखार के लक्षण नजर आयें तो उनको सत्र के दौरान ड्यूटी पर न बुलाया जाए । इसके अलावा लाभार्थी के साथ सहयोगी के रूप में ऐसे लोग न आने पाएं जिन्हें सर्दी-खांसी या बुखार की शिकायत है ।
गृह आधारित नवजात देखभाल (एचबीएनसी) के दौरान आशा बरतें सावधानी :
- सोशल डिस्टेंशिंग का पालन करें, गृह भ्रमण के दौरान मां-बच्चे को बिना छुए बात करें
- गृह भ्रमण से पहले और बाद में साबुन-पानी से 20 सेकंड तक अच्छी तरह से हाथ धुलें
- गृह भ्रमण के दौरान आशा कार्यकर्ता मास्क अवश्य पहनें
- उच्च जोखिम वाले नवजात को प्राथमिकता के आधार पर सेवाएं सुनिश्चित कराएँ
- कंगारू मदर केयर के बारे में जागरूक करें
- बच्चे को जन्म के पहले घंटे में स्तनपान कराने को प्रेरित करें और छह माह तक केवल स्तनपान कराने के फायदे बताएं
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