ऑनलाइन शिक्षण को रोचक बनाने को जुटे परिषदीय शिक्षक
उत्तरप्रदेश न्यूज़21 घनश्याम सिंह
औरैया: कोविड-19 के चलते लॉक डाउन के दौरान जिला अधिकारी अभिषेक सिंह एवं जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी एस० पी० सिंह के कुशल निर्देशन में परिषदीय शिक्षक व एस०आर०जी० सुनील दत्त राजपूत द्वारा पूर्व माध्यमिक विद्यालय बहलोलपुर, सहार के बच्चों के मानसिक तथा शारीरिक विकास हेतु रोचक गतिवि
धियों के माध्यम से योग व बेसिक शिक्षा को बढ़ावा दिया जा रहा है, विभिन्न ऑनलाइन शिक्षक अभिभावक वॉट्सएप ग्रुप के माध्यम से उ०प्र० बेशिक शिक्षा परिषद के औरैया जिले शिक्षक दिन रात ऑनलाइन एजुकेशन शिक्षा पद्धति को कैसे सरल व रोचक बनाया जाए इसकी तैयारी में लगे हुए।आशा है कि प्रदेश में बेहतर ऑनलाइन एजुकेशन शिक्षा प्रदान करने में प्रथम जिला होगा।शिक्षक इस बात का भी ध्यान रख रहे हैं कि बच्चे कहीं इस शिक्षा पद्धति से बोर न हो इसलिए स्वयं यूट्यूब लिंक के माध्यम से बच्चे घर में रहकर अपना शारीरिक,मानसिक,क्रियात्मक, भावनात्मक एवं सामाजिक विकास की ओर अग्रसर हो रहे है।जिले कार्यरत विभिन्न अनुदेशक साथी भी योग व आत्मरक्षा शिक्षा पर जोर दे रहे हैं।जैसा कि हम जानते है कि शारीरिक और क्रियात्मक कौशलों का विकास अभ्यास करने पर निर्भर करता है। खेल ऐसी क्रिया है जो बच्चों को अभ्यास के पर्याप्त अवसर प्रदान करती है। निम्नलिखित घटना इस बात को स्पष्ट करती है-एक माँ जब चार महीने के शिशु के आगे एक झुनझुना रख देती है। शिशु का ध्यान झुनझुना की तरफ आकर्षित होता है। और वह अपनी पीठ से पेट पर पलट कर उस तक पहुँचने की कोशिश करता है। यह करने के लिये माँसपेशियों का समन्वय जरूरी है। बार-बार झुनझुने तक पहुँचने के प्रयास में शिशु को मिट्टी खाने का अवसर मिलता है और धीरे-धीरे वह आसानी से कर लेता है।बच्चे जब ईंटों की एक पंक्ति पर चलने की कोशिश करते हैं, दीवार फाँदते हैं, सीढ़ी चढ़ते हैं, झूलों में लटकते हैं, दौड़ने के खेल खेलते हैं, साइकिल की सवारी करते हैं तो उनकी बहुत माँसपेशियों का समन्वय बढ़ता है। खेल-खेल में जमीन में गड्ढे खोदने, फूलों के हार बनाने, चित्र बनाने और उनमें रंग भरने में बच्चों की लघु माँसपेशियों का विकास होता है।
धियों के माध्यम से योग व बेसिक शिक्षा को बढ़ावा दिया जा रहा है, विभिन्न ऑनलाइन शिक्षक अभिभावक वॉट्सएप ग्रुप के माध्यम से उ०प्र० बेशिक शिक्षा परिषद के औरैया जिले शिक्षक दिन रात ऑनलाइन एजुकेशन शिक्षा पद्धति को कैसे सरल व रोचक बनाया जाए इसकी तैयारी में लगे हुए।आशा है कि प्रदेश में बेहतर ऑनलाइन एजुकेशन शिक्षा प्रदान करने में प्रथम जिला होगा।शिक्षक इस बात का भी ध्यान रख रहे हैं कि बच्चे कहीं इस शिक्षा पद्धति से बोर न हो इसलिए स्वयं यूट्यूब लिंक के माध्यम से बच्चे घर में रहकर अपना शारीरिक,मानसिक,क्रियात्मक, भावनात्मक एवं सामाजिक विकास की ओर अग्रसर हो रहे है।जिले कार्यरत विभिन्न अनुदेशक साथी भी योग व आत्मरक्षा शिक्षा पर जोर दे रहे हैं।जैसा कि हम जानते है कि शारीरिक और क्रियात्मक कौशलों का विकास अभ्यास करने पर निर्भर करता है। खेल ऐसी क्रिया है जो बच्चों को अभ्यास के पर्याप्त अवसर प्रदान करती है। निम्नलिखित घटना इस बात को स्पष्ट करती है-एक माँ जब चार महीने के शिशु के आगे एक झुनझुना रख देती है। शिशु का ध्यान झुनझुना की तरफ आकर्षित होता है। और वह अपनी पीठ से पेट पर पलट कर उस तक पहुँचने की कोशिश करता है। यह करने के लिये माँसपेशियों का समन्वय जरूरी है। बार-बार झुनझुने तक पहुँचने के प्रयास में शिशु को मिट्टी खाने का अवसर मिलता है और धीरे-धीरे वह आसानी से कर लेता है।बच्चे जब ईंटों की एक पंक्ति पर चलने की कोशिश करते हैं, दीवार फाँदते हैं, सीढ़ी चढ़ते हैं, झूलों में लटकते हैं, दौड़ने के खेल खेलते हैं, साइकिल की सवारी करते हैं तो उनकी बहुत माँसपेशियों का समन्वय बढ़ता है। खेल-खेल में जमीन में गड्ढे खोदने, फूलों के हार बनाने, चित्र बनाने और उनमें रंग भरने में बच्चों की लघु माँसपेशियों का विकास होता है।
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