टाइफाइड मैरीः पहली मरीज जिसमें बीमारी का कोई लक्षण नहीं था, तीन साल क्वारंटीन में रहीं
उत्तरप्रदेश न्यूज़21 :नए कोरोना वायरस के कारण फैली कोविड-19 की महामारी में उन मरीजों का इन दिनों अक्सरजिक्र हो रहा है जिनमें इस बीमारी के लक्षण नहीं दिखाई देते हैं। इसलिए मैरी मैलन को याद करना
जरूरी है। वो इतिहास की पहली ऐसी मरीज थीं जिनमें बीमारी का कोई लक्षण नहीं था। ये 19वीं सदी की शुरुआत की बात है। तब अमरीका में मियादी बुखार (टाइफाइड) फैला था। मैरी इससे संक्रमित 50 लोगों में से एक थीं। संक्रमण से होने वाली बीमारियों में परिवार, प्रशासन और डॉक्टरों के लिए लंबे समय तक ये बात एक अबूझ पहेली की तरह ही रही कि ऐसा कैसे हो सकता है, बीमारी भी हो और लक्षण भी न दिखें। लेकिन 110 साल पहले मैरी इस वजह से अमेरिका की सबसे बदनाम औरतों में शुमार हो गई थीं। पहली 'एसिम्प्टोमैटिक कैरियर'
उनका त्रासदी भरा जीवन 'एसिम्प्टोमैटिक कैरियर' की केस स्टडी में बदल गया था। एसिम्प्टोमैटिक कैरियर यानी वे लोग जिनमें किसी बीमारी के विषाणु या जीवाणु तो हों पर इसके होने का लक्षण न पता चले। जब ये बात पता चली कि मैरी के शरीर में संक्रामक बैक्टीरिया है तो उनकी पहचान पहले 'एसिम्प्टोमैटिक कैरियर' के तौर पर बन गई। तब टाइफाइड को आंत्र ज्वर के नाम से भी जाना जाता था। उन्हें समाज में दरकिनार कर दिया गया, उन्हें दुत्कारा गया। काम हासिल करने के लिए मारिया को अपना नाम तक बदलना पड़ा। और आखिरकार उन्हें लंबे समय के लिए क्वारंटीन में भेज दिया गया, जहां उनकी मौत हो गई।
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