देश के प्रधानमन्त्री को असंगठित क्षेत्र के करोडो काम करने वाले कारीगरों के बारे सोचना होगा। रामआसरे विश्वकर्मा
लखनऊ:देश के प्रधानमन्त्री को असंगठित क्षेत्र के करोडो काम करने वाले कारीगरों के बारे सोचना होगा।वर्तमान में कोरोना के बढ़ते संक्रमण से बचने के लिए देशभर में लॉक डाउन-2 चल रहा है।ऐसे कठिन काल में कोई जरूरतमंद
देशवासी भूखा ना रहे इसके लिए सरकार को बहुत ही प्रभावी व कारगर कदम उठाने होगे। जो असंगठित क्षेत्र में हाथ से काम करने वाले हुनरमंद वंश-परंपरागत कारीगर जैसे लोहकार लोहार, सिकलीगर,पांचाल काष्ठ कार सुथार,खाती, जांगिड़ ताम्रकार कंसारा,कसेर,ठठेरा शिल्प कारकुम्हार, सोमपुरा, कड़िया, सथवारा, सिलावट, स्वर्णकार सोनी,सुनार व अन्य दर्जी छीपा,केश- कर्तक नाई जीनगर मोची आदि कामगारों के सामने अपने जीवन यापन का संकट खड़ा हो गया है।इन्हें लघु मझले उद्योग हाथ-करघा खादी ग्रामोद्योग नरेगाश्रमिकों,किसानों, पशुपालकों,की तरह कोई सरकारी विभागों से सहायता नहीं मिलती है। आज तक किसी सरकार ने इस वंश परंपरागत कारीगर समाज के बारे में कोई कारीगर मंत्रालय, कारीगर आयोग, कारीगर विकास निगम व बोर्ड,का गठन नहीं किया है।इस देश में इस समाज का कारीगर के रूप में कोई पंजीयन नहीं है जिसके कारण इनका समाजिक व आर्थिक स्थिति का आकलन केंद्र व राज्य सरकार कर के इनका वास्तविक आंकड़ा देश के सामने प्रस्तुत कर सके ताकि इनका पैकेज तैयार कर इस आपातकाल स्थिति में राहत पैकेज वितरण करने का आदेश हो सके।
देशवासी भूखा ना रहे इसके लिए सरकार को बहुत ही प्रभावी व कारगर कदम उठाने होगे। जो असंगठित क्षेत्र में हाथ से काम करने वाले हुनरमंद वंश-परंपरागत कारीगर जैसे लोहकार लोहार, सिकलीगर,पांचाल काष्ठ कार सुथार,खाती, जांगिड़ ताम्रकार कंसारा,कसेर,ठठेरा शिल्प कारकुम्हार, सोमपुरा, कड़िया, सथवारा, सिलावट, स्वर्णकार सोनी,सुनार व अन्य दर्जी छीपा,केश- कर्तक नाई जीनगर मोची आदि कामगारों के सामने अपने जीवन यापन का संकट खड़ा हो गया है।इन्हें लघु मझले उद्योग हाथ-करघा खादी ग्रामोद्योग नरेगाश्रमिकों,किसानों, पशुपालकों,की तरह कोई सरकारी विभागों से सहायता नहीं मिलती है। आज तक किसी सरकार ने इस वंश परंपरागत कारीगर समाज के बारे में कोई कारीगर मंत्रालय, कारीगर आयोग, कारीगर विकास निगम व बोर्ड,का गठन नहीं किया है।इस देश में इस समाज का कारीगर के रूप में कोई पंजीयन नहीं है जिसके कारण इनका समाजिक व आर्थिक स्थिति का आकलन केंद्र व राज्य सरकार कर के इनका वास्तविक आंकड़ा देश के सामने प्रस्तुत कर सके ताकि इनका पैकेज तैयार कर इस आपातकाल स्थिति में राहत पैकेज वितरण करने का आदेश हो सके।
इन जातियों के अधिकांश लोग दैनिक मजदूरी कर या कोई छोटी मोटी दुकान चलाकर गुजारा करते हैं।जागरूकता की कमी की वजह से इन लोगों का उद्योग विभाग,श्रम विभाग,रोजगार विभाग में पंजीकरण नहीं होने की कारण सरकार द्वारा चलाई जा रही किसी योजनाओं कोई लाभ भी नही मिल पा रहा है।
रोजगार हेतु अन्य राज्य व ग्रामीण व शहरी इलाकों में पलायन करने की वजह से ना ही बीपीएल श्रेणी के कार्ड बनते हैं जिसके चलते राशन से खाद्यान्न नहीं मिलता और ना ही सरकारी चिकित्सा सुविधा मिलती है।
कोरोना वायरस महामारी के चलते देश में जो ताला-बंद चल रहा है इसकी सबसे ज्यादा कठिनाई इस विश्वकर्मा शिल्पकार समाज को हो रही है।इसलिये केन्द्र सरकार को निम्नलिखित निर्णय लेने चाहिये।
1. इन असंगठित कारीगर वर्ग के लोगों के लिए एक बड़ा राहत पैकेज देने की घोषणा की जाय।
2.साथ ही अपना छोटा-मोटा धंधा करने वाले को अपना धंधा चालू करने के लिए छूट दी जाय।
3. इन वर्गों के लोगों के धंधों को चालू रखने के लिए बिना ब्याज सब्सिडी सहित लंबी अवधि के ऋण सरकार दिलवाने की व्यवस्था करें।
4.जो भी छोटे-छोटे कारोबार किराए की जगह पर चलाते हैं उनका किराया माफ होना चाहिए।
5.जो कारीगर वर्कशॉप, ऑफिस,घरों में लकड़ी लोहे का काम मजदूरी पर करते हैं जो शहरों में भाड़े के मकान में रहते हैं उनका किराया माफ होना चाहिए।
6. जो कारीगर अपना छोटा वर्कशॉप लेकर बैठा है उनके बिजली का बिल माफ होना चाहिए।
7. भवन निर्माण जगत के कारोबारियो कि वहां ठेकेदार के तौर पर काम कर रहे कारीगर वर्ग को सरकार द्वारा चलाई जा रही Labour Welfare Board Cess के हजारों करोड रुपए कल्याण निधि में पड़े हैं उसे आज इस आपातकाल स्थिति में कारीगरों को सहायता दी जाय।
इन सब बातों पर निर्णय लेने के लिए प्रधानमंत्री जी को एक कमेटी गठन कर शहर व ग्राम स्तर पर आकलन कर राहत पैकेज वितरण की व्यवस्था करवानी चहिये ताकि करोडो असंगठित क्षेत्र के लोगो को भुखमरी से बचाया जा सके।। मुझे उम्मीद हैं कि सरकार जल्द ही उचित निर्णय कर इन वंश परंपरागत कारीगरो के हित में आवश्यक कदम उठायेगी। और उन्हे भुखमरी से बचाने का कार्य करेगी।
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