स्लग-कन्नौज-हालात बिगडते देख टूटी प्रशासन की नींद, शुरू कराई थर्मल स्क्रीनिंग....
स्लग-कन्नौज-हालात बिगडते देख टूटी प्रशासन की नींद, शुरू कराई थर्मल स्क्रीनिंग....
ब्यूरों चीफ -विनीत अबस्थी
उत्तर प्रदेश न्यूज़21
कन्नौज (उत्तर प्रदेश)
कन्नौज। यूं तो दिल्ली से यूपी के अलग-अलग जिले में जाने के लिए पैदल ही हजारों की संख्या में निकल पडे थे। जो बिना किसी रोक-टोक के परीक्षण कराए बिना ही अपने-अपने गांव और घर पहुंच गए। लेकिन हालात तब बदतर हो चले, जब दिल्ली से मजदूरों को लाने के लिए शासन के निर्देश पर कुछ बसों का संचालन शुरू कर दिया गया। ऐसे में शनिवार सुबह से ही मजदूर झुंड में कन्नौज पहुंचने लग गए। बडी तादात में लोगों को आता देख लोग हक्के-बक्के रहे गए। ऐसे मजदूरों की थर्मल स्क्रीनिंग के लिए प्रशासन की ओर से कोई प्रबंध नही किए गए थे। जब लोगों ने सोशल साइटों पर प्रशासन को आडे हाथों लेना शुरू किया तो रविवार सुबह से जिला अस्पताल में मजदूरों की थर्मल स्क्रीनिंग शुरू करा दी गई। दिल्ली से कन्नौज तक की सवारियां लाने वाली सभी बसों को जिला अस्पताल में रोका जा रहा है और वहां से थर्मल स्क्रीनिंग के बाद ही लोगों को उनके घरों और गांव में जाने दिया जा रहा है। इस काम में स्वास्थ्य टीम की मदद के लिए पुलिस कर्मी भी तैनात किए गए है। जिनकी मदद से थर्मल स्क्रीनिंग का काम शुरू किया जा सका।
वीओ-दिल्ली से पैदल आने वालों की संख्या में अभी भी कमी नहीं आई। जो लोग तीन-चार दिन पहले ही जत्थे के रूप में अपने घर जाने के लिए निकल दिए थे, उनके जत्थे शनिवार देर रात तक और रविवार सुबह तक नेशनल हाइवे से निकलते रहे। रास्ते में चल रहे इन जत्थों को बैठाने के लिए दिल्ली की ओर से आने वाली खचाखच भरी बसों में भी जगह नहीं मिली। जिस कारण भूख-प्यास से ब्याकुल लोगों ने कहीं रूक कर वाहनों का इंतजार करने से बेहतन चलते रहना ही समझा। ऐसे ही एक जत्थे में कुछ महिलाएं और बच्चे शामिल थे, जो दिल्ली से पैदल चलकर कन्नौज होते अपने घरों में जा रहे थे। इन जत्थों में शामिल लोगों को यदि कोई स्थानीय नागरिक पैदल या बाइक से आते-जाते दिख जाता है तो वह अपने बच्चों के पेट की आग को बुझाने के लिए उससे खाने के लिए मांगने लग जाते हैं। ऐसे में कुछ लोगों ने पैसे देने की बात कही तो मजदूरों का कहना था कि पैसे तो उनके पास भी हैं, लेकिन होटल-ढावे और दुकानें बंद होने के कारण वह खाने के लिए कोई सामान भी नहीं खरीद सके। ऐसे में भूख से छटपटाते बच्चों को देख कर लोगों का दिल सहम जाता रहा।
परमीशन के लिए प्रशासन का मुंह ताक रहे समाजसेवी संगठन दिल्ली से भारी संख्या में पहुंच रहे मजदूरों के जत्थों को भूख-प्यास से ब्याकुल देखते हुए जिले के कई समाजसेवी और उनके संगठन भोजन-पानी की व्यवस्था करने के लिए तैयार हैं, लेकिन लाॅकडाउन के नियमों का पालन करने के कारण उनके लिए ऐसा करना मुश्किल है। ऐसे में कुछ समाजसेवी और उनके संगठन निकल कर सामने आए हैं और उन्होंने जिले के उच्चाधिकारियों से मजदूरों के जत्थों के लिए भोजन-पानी की व्यस्था करने की परमीशन मांगी, लेकिन प्रशासन ऐसा करने की अनुमति नहीं दे रहा। उधर कुछ समाजसेवी संगठनों को इस शर्त पर एसडीएम सदर शैलेष कुमार द्वारा पास जारी कर दिए गए हैं, जोकि लोगों से धनराशि और राशन-पानी का सामान एकत्र कर प्रशासन द्वारा तय की गई रसोइया में सहयोग करने के लिए तैयार हो गए। जबकि तमाम समाजसेवी ऐसे हैं जिनका कहना है कि सरकारी कर्मचारियों की हस्तक्षेप के चलते बिना पक्षपात गरीबों तक सुविधाएं नहीं पहुंच पाएंगी। ऐसे में समाजसेवियों का कहना है कि प्रशासन परमीशन दे तो वह लोग भोजन के पैकेट और राशन-पानी की व्यवस्था कर गरीबों तक पहुंचाने का काम करेंगे। प्रशासन चाहे तो निगरानी के लिए किसी अधिकारी या कर्मचारी को ऐसे मौकों पर नियुक्त कर सकता है। लेकिन इस ओर अब तक प्रशासन ने कोई ध्यान नहीं दिया है, जिस कारण गरीबों की हालत बदतर होती जा रही है।
वीओ-डीएम बोले, शासन के निर्देश पर काम कर रहे,गरीबों के घरों में राशन-पानी और भोजन की व्यवस्था करने के इच्छुक समाजसेवियों को प्रशासन से परमीशन न मिलने की बात जब हिन्दी खबर के संवाददाता ने जिलाधिकारी राकेश कुमार मिश्रा के सामने रखी तो उन्होंने कहा कि वह भी चाहते हैं कि हर गरीब तक राशन-पानी पहुंचे, लेकिन शासन से जब तक इस प्रकार के आदेश-निर्देश प्राप्त नहीं हो जाते हैं, तब तक किसी को परमीशन नहीं दी जा सकती। हालांकि ऐसे में उन्होंने यह भी कहा कि एसडीएम को भरोसे में लेकर समाजसेवी लोग भोजन-पानी का वितरण कर सकते हैं। लेकिन जब इस बारे में एसडीएम सदर शैलेष कुमार से बात की तो उन्होंने सटीक उत्तर देने की वजाए हंस कर मामले को टाल दिया। यही वजह है कि समाजसेवी खुल कर गरीबों की मदद के लिए आगे नहीं आ पा रहे।
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