पत्रकार को विशेषज्ञ से ज्यादा जानकारी होनी चाहिए
पत्रकार को विशेषज्ञ से ज्यादा जानकारी होनी चाहिए
उत्तरप्रदेश न्यूज़21
संपादक-आदित्य शर्मा
मो-9058832838
मेल-auraiya.upnews21@gmail.com
उत्तरप्रदेश:-पता नहीं पत्रकारिता पर होने वाली तमाम चर्चा-बहस-गोष्ठी चुने हुए महत्वपूर्ण विषयों से शुरू होकर टीआरपी, मीडिया का व्यवसायीकरण और आंदोलनकारी पत्रकारों की स्थिति पर क्यों ख़त्म हो जाती है? शायद ये ज़्यादा बड़ा दर्द है, शायद ये ज़्यादा तालियाँ खींचता है, शायद मीडिया को गाली देना शगल हो गया है, शायद पत्रकारों को मेले वाले उस बावले बाबा की तरह ख़ुद की पीठ पर कोड़े मारने में बहुत मज़ा आता है, शायद ये पत्रकारों के रोज़गार की ऐसी चर्चा है जो बस पत्रकार ही करते हैं, वो सबके बारे में लिखते हैं पर उनके बारे में सही बात जनता तक कम ही पहुँचती है। ... तो ये सारे ‘शायद’ सच भी हैं तो भी मीडिया और पत्रकारिता को चुनिंदा विषयों पर परिणाममूलक, तथ्यपरक और ज़िन्दा बहसों की बहुत आवश्यकता है। हरिद्वार में हुई मीडिया चौपाल में कोशिश और उद्देश्य भी यही रहा।
उद्देश्य भी पवित्र था, प्रयास भी सार्थक और आयोजन देवभूमि के सबसे पवित्र और चर्चित केन्द्र और पावन धरा हरिद्वार में! सब सुयोग! ये पाँचवा आयोजन था। मुझे दूसरे मीडिया चौपाल में भोपाल और तीसरे में दिल्ली में शामिल होने का अवसर मिला था। गिरीश उपाध्याय जी के माध्यम से जब पहली बार अनिल सौमित्र ने संपर्क किया था तो सोचा यही था कि जहाँ पत्रकार जुट रहे हों तो वहाँ तो जाना ही चाहिए। अपने रोज़ के दायरे से बाहर जाकर विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत पत्रकारों से मिलना हमेशा ही आकर्षित भी करता है और सुकून भी देता है। सो कोशिश करता हूँ कि पहुँच ही जाऊँ। बहुत अनौपचारिक पर फिर भी अनुशासित सा ये मज़मा अपने अलग किरदारों और बेबाकी के कारण ध्यान खींचता है। हरिद्वार भी इसी खिंचाव में पहुँच गए। मेरे सत्र का विषय भी बहुत ध्यान खींचने वाला और महत्वपूर्ण था। - मुद्दा/विषय/विशेषज्ञता आधारित संचार की आवश्यकता, संचारकों की नई भूमिका। निश्चित ही गंभीर और महत्वपूर्ण विषय।
क्या संचारक यानी जो पत्रकार है वो महज एक डाकिया है जो केवल यहाँ की सूचना वहाँ पहुँचा दे, बिना ये जाने कि वो सूचना क्या है? जाहिर है नहीं। तो क्या वो सूचना को पढ़े और “अपने हिसाब” से आगे बढ़ाए? तो फिर हर एक का जो ‘अपना हिसाब’ होगा उसका हिसाब कौन रखेगा? क्या सुंदर चॉकलेटी चेहरे जिनको विषय की समझ नहीं है वो उसे प्रेषित करते रह सकते हैं? और वो पत्रकार भी कहलाएँगे और नाम भी पाएँगे और सेलेब्रिटी बन जाएँगे? फिर उनमें और नाटक/सिनेमा के अभिनेता/अभिनेत्रियों में क्या फर्क़ है?
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