जानिए कारण सहार ब्लाक से स्टेटमेंट न मिलने से ग्राम पंचायतों में भेजी गई धनराशि का मिलान नहीं हो पा रहा
उत्तरप्रदेश न्यूज़21 दिबियापुर औरैया
संपादक -आदित्य शर्मा
सहार औरैया। स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण में चल रही जांच अंतिम चरण में पहुंच रही है। जिले के सात ब्लाकों में सहार को छोड़कर छह ब्लाकों की ग्राम पंचायतों के बैंक स्टेटमेंट की रिपोर्ट डीपीआरओ कार्यालय को प्राप्त हो चुकी है। सहार ब्लाक द्वारा स्टेटमेंट उपलब्ध न कराए जाने पर डीपीआरओ ने एडीओ पंचायत सहार को नोटिस देकर गुरुवार तक प्रत्येक दशा में ग्राम पंचायतों के स्टेटमेंट उपलब्ध कराने की कड़े निर्देश दिए हैं।
गौरतलब है कि वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण योजना के तहत जिले की ग्राम पंचायतों की खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) अभियान शुरू किया गया। वर्ष 2014 से लेकर 2018 के बीच जिले में 139621 शौचालयों का निर्माण कर जिले को ओडीएफ घोषित कर दिया गया था। ओडीएफ होने के बाद प्रदेश की ऑडिट व जिले में कराए गए ऑडिट में 16 करोड़ रुपये की धनराशि में अंतर आया था। जिसमें साढ़े सात करोड़ रुपये विभाग के पास होने का मामला प्रकाश में आया था। वित्तीय अनियमितता का बड़ा मामला प्रकाश में आने पर डायरेक्टर पंचायती राज मंडलायुक्त व डीएम ने डीपीआरओ को प्रकरण की जांच करने के निर्देश दिए थे। जिस पर डीपीआरओ राजेश चौरसिया ने जिले के औरैया, अजीतमल, भाग्यनगर, अछल्दा, ऐरवाकटरा, बिधूना व सहार ब्लाक के एडीओ पंचायत को अपने-अपने ग्राम पंचायतों की बैंक स्टेटमेंट कार्यालय भेजने के निर्देश दिए थे। जिसमें सहार को छोड़कर सभी ब्लाकों से स्टेटमेंट डीपीआरओ कार्यालय को प्राप्त हो चुके हैं। सहार ब्लाक द्वारा तय समय में बैंक स्टेटमेंट उपलब्ध न कराने पर डीपीआरओ ने एडीओ पंचायत सहार प्रवीण राजपूत को नोटिस देकर गुरुवार तक प्रत्येक दशा में ग्राम पंचायतों के स्टेटमेंट उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं।
इनसेट यतों के स्टेटमेंट प्राप्त हो चुके हैं। इनका मिलान कराया जा रहा है। सहार ब्लाक से स्टेटमेंट न मिलने से ग्राम पंचायतों में भेजी गई धनराशि का मिलान नहीं हो पा रहा है। एडीओ पंचायत को नोटिस देकर प्रत्येक दशा में गुरुवार तक स्टेटमेंट देने की चेतावनी जारी की गई है।
राजेश चौरसिया
डीपीआरओ
इनसेट
जांच तक सीमित होकर न रह गए गबन का मामला
औरैया। ग्रामीण स्वच्छता मिशन कार्यक्रम के तहत जिले को ओडीएफ के दौरान भेजी गई धनराशि में 16 करोड़ रुपये में साढ़े सात करोड़ की धनराशि ही उपलब्ध है। लगभग साढ़े आठ करोड़ रुपये की धनराशि आखिर कहां गई। इस पर डीपीआरओ कार्यालय जांच तक ही सीमित होकर रह गया है। जबकि ब्लाक भाग्यनगर में एक निधि की 19 खाते संचालित होने तथा अछल्दा में एक खाता होने का मामला अभी प्रकाश में आ चुका है। इन पर सीधे तौर पर कार्रवाई अभी तक नहीं हुई है। कितनी धनराशि इन दोनों खातों में डाली गई है, यह भी बताने में अधिकारी फिलहाल कतरा रहे हैं। सूत्रों की मानें तो एक ही निधि के दो खातों का संचालन सीधे तौर पर वित्तीय अनियमितता है, लेकिन फिलहाल इस संबंध में कोई अधिकारी खुलकर आने को तैयार नहीं है। जिम्मेदार अधिकारी जांच पूरी होने तक कुछ भी कहने को तैयार नहीं।
संपादक -आदित्य शर्मा
सहार औरैया। स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण में चल रही जांच अंतिम चरण में पहुंच रही है। जिले के सात ब्लाकों में सहार को छोड़कर छह ब्लाकों की ग्राम पंचायतों के बैंक स्टेटमेंट की रिपोर्ट डीपीआरओ कार्यालय को प्राप्त हो चुकी है। सहार ब्लाक द्वारा स्टेटमेंट उपलब्ध न कराए जाने पर डीपीआरओ ने एडीओ पंचायत सहार को नोटिस देकर गुरुवार तक प्रत्येक दशा में ग्राम पंचायतों के स्टेटमेंट उपलब्ध कराने की कड़े निर्देश दिए हैं।
इनसेट यतों के स्टेटमेंट प्राप्त हो चुके हैं। इनका मिलान कराया जा रहा है। सहार ब्लाक से स्टेटमेंट न मिलने से ग्राम पंचायतों में भेजी गई धनराशि का मिलान नहीं हो पा रहा है। एडीओ पंचायत को नोटिस देकर प्रत्येक दशा में गुरुवार तक स्टेटमेंट देने की चेतावनी जारी की गई है।
राजेश चौरसिया
डीपीआरओ
इनसेट
जांच तक सीमित होकर न रह गए गबन का मामला
औरैया। ग्रामीण स्वच्छता मिशन कार्यक्रम के तहत जिले को ओडीएफ के दौरान भेजी गई धनराशि में 16 करोड़ रुपये में साढ़े सात करोड़ की धनराशि ही उपलब्ध है। लगभग साढ़े आठ करोड़ रुपये की धनराशि आखिर कहां गई। इस पर डीपीआरओ कार्यालय जांच तक ही सीमित होकर रह गया है। जबकि ब्लाक भाग्यनगर में एक निधि की 19 खाते संचालित होने तथा अछल्दा में एक खाता होने का मामला अभी प्रकाश में आ चुका है। इन पर सीधे तौर पर कार्रवाई अभी तक नहीं हुई है। कितनी धनराशि इन दोनों खातों में डाली गई है, यह भी बताने में अधिकारी फिलहाल कतरा रहे हैं। सूत्रों की मानें तो एक ही निधि के दो खातों का संचालन सीधे तौर पर वित्तीय अनियमितता है, लेकिन फिलहाल इस संबंध में कोई अधिकारी खुलकर आने को तैयार नहीं है। जिम्मेदार अधिकारी जांच पूरी होने तक कुछ भी कहने को तैयार नहीं।
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