देर से पहुँचने वाले शिक्षकों को नहीं मिलेगा स्कूल में प्रवेश, लोगों में दौड़ी खुसी के लहर
देर से पहुँचने वाले शिक्षकों को नहीं मिलेगा स्कूल में प्रवेश, लोगों में दौड़ी खुसी के लहर
उत्तरप्रदेश न्यूज़21
संपादक-आदित्य शर्मा
शिक्षकों की बढ़ती मनमानी और उनके स्कूल आने जाने के समय को सुधारने एक स्कूल प्राचार्य ने नया तरीका अपनाया है।
इस नए तरीके की सराहना भी अब ग्रामीण जन करने लगे हंै। दरअसल शासकीय कन्या माध्यमिक शाला समनापुर में शिक्षकों की मनमानी बढ़ते जा रही थी। खासकर महिला शिक्षिकाएं देरी से स्कूल पहुंच रही थी। इस कारण बच्चों की पढ़ाई तो प्रभावित हो ही रही थी साथ ही बच्चों की मानसिकता पर भी प्रतिकूल असर पड़ रहा था।
शिक्षिकाओं के देरी से आने के समय को देखकर बच्चों भी देरी से स्कूल आना शुरू न कर दें इसके पहले प्राचार्य एस सहारे ने तरीका अपना है। अब सुबह स्कूल लगने के समय में जो भी शिक्षक व विद्यार्थियों स्कूल गेट के अंदर पहुंच जाता है उसे ही प्रवेश दिया जाता है उसके बाद देरी से आने वाले शिक्षकों को प्रवेश नहीं दिया जाता है और स्कूल का मेन गेट बंद कर दिया जाता है। शनिवार के दिन भी कुछ इसी तरह का मांजरा हुआ। कुछ शिक्षिकाएं स्कूल लगने के बाद पहुंची, लेकिन प्राचार्य ने शिक्षकों को न बोलते हुए गेट ही बंद करवा दिया।
इसके बाद स्कूली बच्चों की तरह शिक्षक भी गेट के बाहर अंदर प्रवेश करने की राह देखते नजर आए।
हालाकि बाद में शिक्षिकाओं द्वारा अनुरोध करने के बाद स्कूल गेट खोल दिया गया और शिक्षिकाओं ने शिक्षण कार्य करवाया। लेकिन तब तक सभी शिक्षिकाओं को अच्छी सीख मिल चुकी थी। इस मामले में प्राचार्य सहारे का कहना है कि वे टाइम के पक्के हैं और टाइम से ही सभी कार्य संपदित किए जाए ऐसी उनकी मंशा है। इस कारण उनके द्वारा यह तरीका अपनाया गया है। प्राचार्य सहारे के अनुसार उन्होंने शिक्षकों को सख्त हिदायत दी है कि आगे से दिए हुए उचित समय पर स्कूल पहुंचे और शिक्षा व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाएं। सरकार शिक्षिकों को वेतन देती है, जिसके लिए आपको कार्यबद्ध रहना होगा। प्राचार्य के इस प्रयोग की जानकारी गांव में लगते हुए सभी प्रशंसा करते नजर आए।
शिक्षिकाओं के देरी से आने के समय को देखकर बच्चों भी देरी से स्कूल आना शुरू न कर दें इसके पहले प्राचार्य एस सहारे ने तरीका अपना है। अब सुबह स्कूल लगने के समय में जो भी शिक्षक व विद्यार्थियों स्कूल गेट के अंदर पहुंच जाता है उसे ही प्रवेश दिया जाता है उसके बाद देरी से आने वाले शिक्षकों को प्रवेश नहीं दिया जाता है और स्कूल का मेन गेट बंद कर दिया जाता है। शनिवार के दिन भी कुछ इसी तरह का मांजरा हुआ। कुछ शिक्षिकाएं स्कूल लगने के बाद पहुंची, लेकिन प्राचार्य ने शिक्षकों को न बोलते हुए गेट ही बंद करवा दिया।
इसके बाद स्कूली बच्चों की तरह शिक्षक भी गेट के बाहर अंदर प्रवेश करने की राह देखते नजर आए।
हालाकि बाद में शिक्षिकाओं द्वारा अनुरोध करने के बाद स्कूल गेट खोल दिया गया और शिक्षिकाओं ने शिक्षण कार्य करवाया। लेकिन तब तक सभी शिक्षिकाओं को अच्छी सीख मिल चुकी थी। इस मामले में प्राचार्य सहारे का कहना है कि वे टाइम के पक्के हैं और टाइम से ही सभी कार्य संपदित किए जाए ऐसी उनकी मंशा है। इस कारण उनके द्वारा यह तरीका अपनाया गया है। प्राचार्य सहारे के अनुसार उन्होंने शिक्षकों को सख्त हिदायत दी है कि आगे से दिए हुए उचित समय पर स्कूल पहुंचे और शिक्षा व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाएं। सरकार शिक्षिकों को वेतन देती है, जिसके लिए आपको कार्यबद्ध रहना होगा। प्राचार्य के इस प्रयोग की जानकारी गांव में लगते हुए सभी प्रशंसा करते नजर आए।
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